गणपति अथर्वशीर्ष स्तोत्र


भगवान श्री गणेश महादेव शिव एवं माता पार्वती के छोटे पुत्र हैं। भगवान गणेश जी की पूजा सभी शुभ कार्यों मे सबसे पहले की जाती है। गणपति अथर्वशीर्ष भगवान गणेश



कर्ण पिशाचिनी साधना- प्राचीन भारत की सबसे खतरनाक साधनाओं मे से एक


रविकांत उपाध्याय: कर्ण पिशाचिनी के विषय में लगभग सभी तांत्रिक जानते हैं। यह एक ऐसी यक्षिणी है जो पिशाचिनी स्वरूप में आपके कानों में आकर अथवा विचारों एवं संकेतों के



श्रीसूक्तम् व लक्ष्मीसूक्तम्‌ पाठ


श्रीसूक्तम् व लक्ष्मीसूक्तम्‌ पाठ: यह देवी लक्ष्मी जी को समर्पित संस्कृत में लिखा मंत्र है जिसे हम श्री सूक्त पाठ या लक्ष्मी सूक्त भी कहते है | यह सूक्त ऋग्वेद



मानव शरीर मे कुण्डलिनी शक्ति एवं इसका जागरण


कुण्डलिनी शक्ति जागरण- मानव से महामानव बनने की यात्रा कुण्डलिनी शक्ति दिखाई नहीं देती फिर भी ज्ञानी व योगियों ने इसकी कल्पना सर्पाकार में की है। इसे हठयोग के ग्रंथों



गायत्री मंत्र शाप विमोचन विधि


जिस प्रकार शस्त्र के उपयोग हेतु अनुज्ञापत्र (license) लेना आवश्यक होता है और अनुज्ञापत्र (license) भी उसी व्यक्ति को प्राप्त होता है जो व्यक्ति उस शस्त्र के द्वारा आमजन को



कालभैरवअष्टक


कालभैरवअष्टक देवराज सेव्यमान पावनाङ्घ्रि पङ्कजं व्यालयज्ञ सूत्रमिन्दु शेखरं कृपाकरम् । नारदादि योगिबृन्द वन्दितं दिगम्बरं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 1 ॥ भानुकोटि भास्वरं भवब्धितारकं परं नीलकण्ठ मीप्सितार्ध दायकं त्रिलोचनम् । कालकाल



महाकालभैरवाष्टकम्


महाकालभैरवाष्टकम् अथवा तीक्ष्णदंष्ट्रकालभैरवाष्टकम् यं यं यं यक्षरूपं दशदिशिविदितं भूमिकम्पायमानं सं सं संहारमूर्तिं शिरमुकुटजटा शेखरंचन्द्रबिम्बम् । दं दं दं दीर्घकायं विक्रितनख मुखं चोर्ध्वरोमं करालं पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं



इन्द्राक्षी स्तोत्र


इस पाठ का फल अतिशीघ्र फलदायी होता हैं रोग,क्लेश,ग्रह पीड़ा,बाधा,शत्रु,दुख आदि निवारण में यह सहायक हैं धन,धान्य,ऐश्वर्य,सुख,यश,कीर्ति,सम्मान,पद प्रतिष्ठा,आरोग्य,पुष्टि प्राप्ति हेतु करे इसका पाठ करें। श्रीगणेशाय नमः विनियोग अस्य श्री इन्द्राक्षीस्तोत्रमहामन्त्रस्य,शचीपुरन्दर



तांत्रिक मारण क्रिया करने के आवश्यक नियम व सावधानी


हम जो दुनिया को देते हैं वो हमें एक न एक दिन बापस जरूर मिलता है, दुसरो के साथ जैंसा कर्म करेंगे वैसा एक दिन हमारे पास लौटकर आता है।