कर्ण पिशाचिनी साधना- प्राचीन भारत की सबसे खतरनाक साधनाओं मे से एक


रविकांत उपाध्याय: कर्ण पिशाचिनी के विषय में लगभग सभी तांत्रिक जानते हैं। यह एक ऐसी यक्षिणी है जो पिशाचिनी स्वरूप में आपके कानों में आकर अथवा विचारों एवं संकेतों के



वीरभद्र तीव्र साधना मंत्र


वीरभद्र साधना वीरभद्र, भगवान शिव के परम आज्ञाकारी हैं. उनका रूप भयंकर है, देखने में वे प्रलयाग्नि के समान, हजार भुजाओं से युक्त और मेघ के समान श्यामवर्ण हैं. सूर्य



माँ विंध्यवासिनी तंत्र सिद्धि साधना


शास्त्रों में माँ विंध्यवासिनी की रहस्यमयी तांत्रिक साधना वर्णित है। यह साधना अत्यंत गोपनीय है। किसी भी कार्य में तुरंत सफलता प्राप्ति के लिए विंध्यवासिनी साधना उपयोगी होती है। विनियोग



श्री बगला दिग्बंधन रक्षा स्तोत्रम्


ब्रह्मास्त्र प्रवक्ष्यामि बगलां नारदसेविताम् । देवगन्धर्वयक्षादि सेवितपादपंकजाम् ।। त्रैलोक्य-स्तम्भिनी विद्या सर्व-शत्रु-वशंकरी आकर्षणकरी उच्चाटनकरी विद्वेषणकरी जारणकरी मारणकरी जृम्भणकरी स्तम्भनकरी ब्रह्मास्त्रेण सर्व-वश्यं कुरु कुरु ॐ ह्लां बगलामुखि हुं फट् स्वाहा । ॐ



ब्रह्मास्त्र महाविद्या श्रीबगला स्तोत्र


प्राचीन ऋषि-मुनियों ने देवी भद्रकाली, दक्षिणकाली या महाकाली की घनघोर तपस्या कर जातकों में विभिन्न समस्याओं से मुक्ति दिलाकर कीर्ति की पताका लहराई थी। देवी की साधना, आराधना व जप



श्री बगला प्रत्यंगिरा कवच


वर्तमान कलियुग में जातकों को नाना प्रकार के तापों से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जातकों के मन में हमेशा अशांति का वातावरण छाया रहता है आखिर वह



श्री महाविपरीत प्रत्यंगिरा स्तोत्रम, शत्रु मारण


मां प्रत्यंगिरा का भद्रकाली या महाकाली का ही विराट रूप है। मां प्रत्यंगिरा की गुप्तरूप से की गई आराधना, जप से अच्छों अच्छों के झक्के छूट जाते हैं। कितना ही



देवी दुर्गा महात्म्यम् अर्गलास्तोत्रम्


विनियोग अस्यश्री अर्गला स्तोत्र मंत्रस्य विष्णुः ऋषि: अनुष्टुप्छन्द: श्री महालक्षीर्देवता मंत्रोदिता देव्योबीजं नवार्णो मंत्र शक्तिः श्री सप्तशती मंत्रस्तत्वं श्री जगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशती पठां गत्वेन जपे विनियोग:।। ध्यान ॐ बन्धूक कुसुमाभासां पञ्चमुण्डाधिवासिनीं।



श्री कालिका सहस्त्रनाम व काली सहस्त्रनाम


शाक्ततंत्र सर्वसिद्धिप्रद है जिसमे करकादी स्तोत्र और कालिका सहस्त्रनाम का उल्लेख तीक्ष्ण प्रभावशाली बताया गया है। कालिका सहस्रनाम अर्थात काली सहस्त्रनाम का पाठ करने की अनेक गुप्त विधियाँ हैं, जो



64 योगिनी साधना एवं सिद्धि मंत्र


64 योगिनियों की साधना सोमवार या अमावस्या या पूर्णिमा की रात्रि से आरंभ की जाती है। साधना आरंभ करने से पहले स्नान-ध्यान आदि से निवृत होकर अपने पितृगण, इष्टदेव तथा

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