52 वीर महाकाली के दूत हैं। इन्हें भैरवी के अनुयायी या भैरव का गण कहा गया है। इन्हें देव और धर्मरक्षक भी कहा गया है। गुप्त नवरात्रि में और कुछ विशेष दिनों में वीर साधना की जाती है। भारत के प्रांतों में कई वीरों की मंदिरों में अन्य देवी और देवताओं के साथ प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। कई वीर साधनाओं को एक बंद कमरे में, श्मशान में या किसी एकांत स्थान पर की जाती है। साधनाओ में वीर साधना का स्थान उच्च माना जाता है। 52 वीर साधना के बाद खबबिश और प्रेतबाधाओं से दुखी लोगो का इलाज बड़ी सरलता से कर सकता है। वीर उसकी आज्ञा मिलते ही कार्य कर देता है । केवल प्रेत बाधा ही नहीं यदि वीर प्रसन्न हो जाए तो जो भाग्य में नहीं है वो भी दे देता है।
52 वीर हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं:
01.क्षेत्रपाल वीर 02. कपिल वीर 03. बटुक 04. नृसिंह वीर 05. गोपाल वीर. 06. भैरव वीर
07. गरूढ़ वीर 08. महाकाल वीर 09.काल वीर 10. स्वर्ण वीर 11. रक्तस्वर्ण वीर 12. देवसेन वीर
13. घंटापथ वीर 14. रुद्रवीर 15. तेरासंघ वीर 16. वरुण वीर 17. कंधर्व वीर 18. हंस वीर
19. लौन्कडिया वीर 20. वहि वीर 21. प्रियमित्र वीर 22. कारु वीर 23. अदृश्य वीर 24. वल्लभ वीर
25. वज्र वीर 26. महाकाली वीर 27. महालाभ वीर 28. तुंगभद्र वीर 29. विद्याधर वीर. 30. घंटाकर्ण वीर
31. बैद्यनाथ वीर 32. विभीषण वीर. 33. फाहेतक वीर 34. पितृ वीर 35. खड्ग वीर 36. नाघस्ट वीर
37. प्रदुम्न वीर. 38. श्मशान वीर 39. भरुदग वीर 40. काकेलेकर वीर 41. कंफिलाभ वीर 42. अस्थिमुख वीर
43. रेतोवेद्य वीर 44. नकुल वीर 45. शौनक वीर 46. कालमुख 47. भूतबैरव वीर 48. पैशाच वीर
49. त्रिमुखवीर 50. डचक वीर. 51. अट्टलाद वीर 52. वास्मित्र वीर
52 वीर मंत्र: ॐ ह्रीं ह्रौं वीरायप्रत्यक्षं भव ह्रौं ह्रीं फट्
Om Hreem Hraum Veeray Pratyaksham Bhav Hraum Hreem Phat
सभी 52 वीर बहुत शक्तिशाली होते है । वीरो को सिद्ध करने के बाद साधक के पास दुर्लभ अलौकिक शक्तियां आ जाती है । वीर साधक के साथ हर समय अदृश्य रुप मे साथ रहता है । वीर साधना आसानी से सिद्ध हो जाती है इस साधना को तांत्रिक वाममार्गी साधना के अंतर्गत माना जाता है इसलिए यह साधना किसी गुरु कि मार्गदर्शन में ही करना चाहिए अन्यथा गलती होने पर वीर शीघ्र क्रोधित होकर अहित भी कर सकते हैं ।