श्री बगला प्रत्यंगिरा कवच


वर्तमान कलियुग में जातकों को नाना प्रकार के तापों से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जातकों के मन में हमेशा अशांति का वातावरण छाया रहता है आखिर वह



श्री महाविपरीत प्रत्यंगिरा स्तोत्रम, शत्रु मारण


मां प्रत्यंगिरा का भद्रकाली या महाकाली का ही विराट रूप है। मां प्रत्यंगिरा की गुप्तरूप से की गई आराधना, जप से अच्छों अच्छों के झक्के छूट जाते हैं। कितना ही



देवी दुर्गा महात्म्यम् अर्गलास्तोत्रम्


विनियोग अस्यश्री अर्गला स्तोत्र मंत्रस्य विष्णुः ऋषि: अनुष्टुप्छन्द: श्री महालक्षीर्देवता मंत्रोदिता देव्योबीजं नवार्णो मंत्र शक्तिः श्री सप्तशती मंत्रस्तत्वं श्री जगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशती पठां गत्वेन जपे विनियोग:।। ध्यान ॐ बन्धूक कुसुमाभासां पञ्चमुण्डाधिवासिनीं।



श्री कालिका सहस्त्रनाम व काली सहस्त्रनाम


शाक्ततंत्र सर्वसिद्धिप्रद है जिसमे करकादी स्तोत्र और कालिका सहस्त्रनाम का उल्लेख तीक्ष्ण प्रभावशाली बताया गया है। कालिका सहस्रनाम अर्थात काली सहस्त्रनाम का पाठ करने की अनेक गुप्त विधियाँ हैं, जो



64 योगिनी साधना एवं सिद्धि मंत्र


64 योगिनियों की साधना सोमवार या अमावस्या या पूर्णिमा की रात्रि से आरंभ की जाती है। साधना आरंभ करने से पहले स्नान-ध्यान आदि से निवृत होकर अपने पितृगण, इष्टदेव तथा



आद्यशक्ति मां काली की 64 योगिनियां


प्राचीन तंत्र शास्त्र में 64 योगिनियां बताई गई हैं। कहा जाता है कि ये सभी आद्यशक्ति मां काली की ही अलग-अलग कला है। इनमें दस महाविद्याएं तथा सिद्ध विद्याएं भी



मातंगी महाविद्या साधना एवं कवच


साधना विधि यह साधना मातंगी जयन्ती, मातंगी सिद्धि दिवस अथवा किसी भी सोमवार के दिन से शुरू की जा सकती है। यह साधना रात्रिकालीन है और इसे रात्रि में ९



अपराजिता देवी दुर्गा स्तोत्र, शत्रु मारण


अपराजिता श्री दुर्गादेवीका मारक रूप है । अपराजिता देवी का पूजन पूजास्थलपर अष्टदलकी आकृति बनाते हैं । इस अष्टदलका मध्यबिंदु `भूगर्भबिंदु’ अर्थात देवीके `अपराजिता’ रूपकी उत्पत्तिबिंदु का प्रतीक है, तथा



मंत्र सिद्धि के लिए हवन के नियम और विधि


मंत्र सिद्ध करने के बाद हवन अत्यंत ही महत्वपूर्ण क्रिया मानी जाती है। हवन का अर्थ होता है कि, अग्नि के द्वारा किसी भी पदार्थ की आहुति प्रदान करना अथवा



खून की उल्टी करके मरेंगे सभी शत्रु, करें ये मारण प्रयोग


प्रत्यक्ष शत्रु से निपटना आसान होता है किन्तु हमारे कई अप्रत्यक्ष शत्रु होते हैं जो सामने मित्रता पूर्ण व्यवहार रखते हैं किन्तु हमारे पीठ पीछे हमे नुकसान पहुंचाते हैं व

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