मंत्र सिद्ध करने के बाद हवन अत्यंत ही महत्वपूर्ण क्रिया मानी जाती है। हवन का अर्थ होता है कि, अग्नि के द्वारा किसी भी पदार्थ की आहुति प्रदान करना अथवा हव्य कर देना। तो चलिए इस संबंध में हम आज जानकारी प्राप्त करते हैं ।
हवन से पहले आपको आधा किलो हवन सामग्री ले लेनी है। और उसमें कुछ औषधियां मिला देनी है।
हवन सामग्री आपको किसी भी पंसारी की दुकान में मिल जाएंगी आप वहां से इकट्ठा कर सकते हैं।
हवन सामग्री में शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
हवन सामग्री में व्यवहार होने वाली औषधियां(आवश्यक अनुसार)-:
100 ग्राम लोहबान।
100 ग्राम गूगल।
100 ग्राम इंद्रजौ।
100 ग्राम काला तिल।
ध्यान रखें:-
हवन सामग्री लेते समय उनमें कोई जीव जंतु कीड़े-मकोड़े अथवा चीटियां ना हो और हवन सामग्री शुद्ध हो इस बात का विशेष तौर पर आप ध्यान रखें।
हवन सामग्री मैं लोहबान कूटकर मिला ले।
इन 4 चीजों को आधा किलो हवन सामग्री में आपको मिला देना है।
इसके पश्चात शुद्ध देशी घी इन हवन सामग्री में मिला दे अल्प परिमाण में।
हवन समिधा के लिए आप जाटी की लकड़, पीपल की लकड़ी, अथवा आम की लकड़ी भी ले सकते हैं।
हवन की अंतिम आहुति के लिए इस प्रकार आप कुछ सामग्री प्रस्तुत करे ले।
एक टीन की गोली में कुछ हवन सामग्री रखकर और उसमें अल्प परिमाण में शुद्ध देसी घी रख दीजिए और उसके बाद इसमें एक लाल धागा लपेट दीजिए यह सामग्री आपको अंतिम आहुति देने के वक्त काम आएंगे।
करने की विधि:-
हवन में हवन कुंड के लिए आप डेढ़ फुट का हवन कुंड मिट्टी से भी बना सकते हैं। अथवा अगर आपके पास है तो उस हवन-कुंड को आप इसमें व्यवहार भी कर सकते हैं।
हवन कुंड प्रस्तुत करने के बाद उसमें थोड़ा सा हवन सामग्री रखकर उसमें कुछ कपूर रख दें।
इसके बाद गुरु और गणपति को स्मरण करके उनका ध्यान करके हवन प्रारंभ करें।
इसके पश्चात आप हाथ में जल और चावल लेकर संकल्प ले ले जिस भी मंत्र के सिद्ध के लिए आप हवन कर रहे हैं,
संकल्प के साथ उस मंत्र का नाम और उस मंत्र को उच्चारण करते हुए आपको यह बोलना है, कि “मैं इस अभीष्ट की पूर्ति के लिए इतनी बार मंत्र जाप किए हैं। और इसके दशांश हवन करना चाहता हूं। मंत्र की सिद्धि के लिए। हे परमेश्वर मुझे इस कार्य में संपूर्णता प्रदान करें”।
हवन कार्य में अपने परिवार लोगों को भी शामिल करें क्योंकि हवन कभी भी अकेले में संपादित नहीं होता।
जब आप हवन करते रहेंगे और घी की आहुति देते रहेंगे उसी वक्त, आपके मंत्र के अंत में आपके परिवार लोग भी उसमे हवन सामग्री से आहुति देंगे और आप सिर्फ शुद्ध देशी घी की आहुति प्रदान करेंगे।
हवन में आहुति देने के वक्त जो भी आहुति प्रदान करेंगे वह व्यक्ति अपने मध्यमा और अनामिका और वृद्धा अंगुष्ठ से ही थोड़ी-थोड़ी हवन सामग्री लेकर हवन में आहुति प्रदान करेंगे।
आप इसके बाद अग्नि प्रज्वलित करके उसमें समिधा को स्थापित करें उसके बाद, आपने जिस भी मंत्र जाप किया है उसका दशांश आहुति प्रदान करेंगे।
दशांश का मतलब है 10 भाग। (उदाहरण अगर आप 10,000 मंत्र जाप करा है तो आप 1000 आहुतियां प्रदान करेंगे)
इसके बाद बाएं हाथ में आप माला लेकर दाहिने हाथ से मंत्र उच्चारण करके शुद्ध देशी घी की आहुति प्रदान करें।
और मंत्र पाठ के अंत में आपके परिवार के व्यक्ति उसमें कुछ हवन सामग्री की आहुति अवश्य प्रदान करें और आप स्वय घीं की आहुति प्रदान करें।
आहुति खत्म होने के बाद, आखिरी आहुति में आपको पूर्व से रखे हुए टीन के डिब्बे में जो हवन सामग्री और घी रखे हुए थे उसको आप एक बार बनाकर हवन कुंड में मंत्र जाप के सहित आखिरी आहुति प्रदान करनी है। इसके बाद आपकी हवन संपूर्ण होगी और आप जिस भी मंत्र के लिए यह हवन कर रहे थे वह मंत्र भी अवश्य ही सिद्ध होगा ।
[ नोट: जिस विधि और विधान के सहित हवन करने के लिए आपको बताया गया है, उसी विधि और विधान से आप हवन कार्य संपन्न करें। अगर आप खुद हवन नहीं कर पाएंगे तो, किसी योग्य आचार्य अथवा पंडित जी की मदद अवश्य लें। ]
[ RAVIKANT UPADHYAY ] [ PROFILE ] [ DISCLAIMER ] GANJBASODA | VIDISHA | MP | INDIA |
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