Ganjbasoda सदगुरू की सेवा से साधक सारे पापों से मुक्त हो जाता है – गुरु गीता

गुरूगीता पाठ से हुई दो दिवसीय गुरुपूर्णिमा महोत्सव की शुरुआत

गायत्री महायज्ञ में हुए जन्मदिवस संस्कार

सदगुरू देव की पूजन अर्चन के साथ मनाया जायेगा गुरुपूर्णिमा महोत्सव

तीन कुंडीय गायत्री महायज्ञ के बाद होगा प्रसादी भंडारा

अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज के मार्गदर्शन में गंज बासौदा गायत्री प्रज्ञा पीठ पर दो दिवसीय गुरुपूर्णिमा महोत्सव की शुरुआत रविवार से की गई।

मुख्य ट्रस्टी एडवोकेट श्याम सुंदर माथुर, उप मुख्य ट्रस्टी जयराम अहिरवार ने बताया कि रविवार को एक कुंडीय गायत्री महायज्ञ आयोजित किया गया जिसमें आहुतियां देकर विश्व कल्याण की कामना की गई।

बहिन कीर्ति रघुवंशी और संजना रघुवंशी का जन्मदिवस संस्कार मनाया गया। परिव्राजक बसंत कुमार पांडे ने गुरुगीता का वाचन करते हुए गुरु के महत्व को बताया।

गुरुपूर्णिमा के अवसर पर सोमवार सुबह 9 बजे से गायत्री महायज्ञ, संस्कार विशेष पूजन की जाएगी। इसके बाद भंडारा प्रसादी होगी। इस मौके पर वरिष्ठ परिजन जगदीश बिहारी माथुर, गायत्री परिवार तहसील समन्वयक रमाकांत उपाध्याय, राहुल माथुर, सपना पांडे, युवा प्रकोष्ठ तहसील संयोजक बासु पांडे सहित अनेक परिजन मौजूद थे।

सदगुरू की सेवा से साधक सारे पापों से मुक्त हो जाता है – गुरु गीता

गुरु गीता में महादेव शिव ने पार्वती माता को स्वयं कहा हे कि सदगुरू की सेवा से साधक सारे पापों से मुक्त हो जाता है, देहधारी जीव ब्रह्म भाव को प्राप्त के लेता है। सदगुरु के चरणो का स्मरण करते हुए जल को सिर पर डालने से मनुष्य को सभी तीर्थों के स्नान का फल प्राप्त होता है।

गुरुका निवास ही मुक्तिदायनी काशी है, उनका चरणोदक ही गंगाजल है और गुरुदेव ही भगवान विश्वनाथ है।

अपने स्थान, जाति, कीर्ति और उन्नति के विचार त्याग कर श्रीगुरू के अलावा किसी का विचार नहीं करना चाहिए।

गुरु शब्द में गु अंधकार और रु प्रकाश का वाचक है गुरु अंधकार का नाश करने बाला ब्रह्म हैं। इसमें संशय नहीं करना चाहिए।

जो गुरु के पास तू या हूं करके बात करते हैं गुरु से हीन मनुष्य निर्जल अरण्य प्रदेश में ब्रह्म राक्षस का जीवन जीने मजबूर होते हैं।

सारे तीर्थ सदगुरू के पांव के अंगूठे में आश्रय ग्रहण करते हैं।

तन मन धन से सपरिवार गुरु की सेवा करनी चाहिए।