“शक्ति स्वरूपा होती हैं, लड़कियाँ”- कवयित्री दीपाली शर्मा
“समाज को सजाने-मिटाने की क्षमता कवि में होती है।” प्राचार्य शैलेंद्र दीक्षित
गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @ गंजबासौदा मध्यप्रदेश रमाकांत उपाध्याय / 9893909059
नवांकुर विद्यापीठ में आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत राष्ट्रीय कवि संगम इकाई गंजबासौदा के तत्वावधान में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें राष्ट्रीय कवि संगम इकाई गंजबासौदा के कवि आशीष दुबे, नीलेश चतुर्वेदी, ‘धांसू’, ध्रुव शर्मा ‘बेचैन’ कवयित्री दीपाली शर्मा, शुभम रघुवंशी तथा नवांकुर प्राचार्य शैलेंद्र कुमार दीक्षित, डॉल्फिन प्राचार्य रमेश कुमार शर्मा व शिक्षक संदीप रावत मंचासीन थे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों द्वारा नवांकुर के प्रेरणा- स्रोत डॉ० विजय शिरोडोणकर तथा विद्या की देवी सरस्वती माता के चित्र का पूजन कर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन किया गया। तत्पश्चात छात्रा अपूर्वा अवस्थी और प्रज्ञा सक्सेना ने अतिथियों का स्वागत किया। गार्गी मिश्रा, मिली कुशवाह और वाणी राठौर ने स्वागत गीत तथा स्वच्छता गीत ‘स्वच्छ हो भारत अभियान चलायेंगे, नगर गंजबासौदा स्वच्छ बनायेंगे’ प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर कवयित्री छात्राओं द्वारा एक से बढ़कर एक स्वरचित कविताओं का वाचन किया गया- रोशनी राजपूत-12 ने ‘जिंदगी कहती है’, महक नेमा-12 कविता ‘जरा सोचो तो’, गार्गी मिश्रा-12 कविता ‘एक कहानी, मेरी जुबानी’, निधि मिश्रा-11 माँ पर आधारित ‘मैं जाऊँ जहाँ-जहाँ’, मुक्ता सुमन ‘सच जिंदगी का’ स्नेहा रघुवंशी स्वरचित कविता, नैंसी दांगी कहाँ गए वह दिन, दीपाली रघुवंशी ‘बड़ी विडंबना’ स्वरचित कविता का काव्य पाठ किया गया। सभी कविताऐं बड़ी आकर्षक और मनमोहक थी। अतिथि कवियों ने सभी की भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा भरपूर तालियाँ बजाई। दीपाली रघुवंशी और तनु शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया।
कवियों के द्वारा प्रस्तुत काव्य पाठ में सर्वप्रथम कवि शुभम रघुवंशी ने शहीदों के बलिदान पर आधारित ओजपूर्ण कविता, नवांकुर के पूर्व छात्र और राष्ट्रीय कवि संगम के जिला अध्यक्ष कवि ध्रुव शर्मा बैचेन ने छात्र जीवन के अनुभव सुनाये तथा ओजस्वी भाषा में स्वरचित छंद प्रस्तुत किया। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष और कवि नीलेश चतुर्वेदी ने कविता ‘जग में सुंदर हैं दो काम, करो भोजन और आराम’ सुना कर हास्य रस की गंगा बहा दी। नवांकुर की पूर्व छात्रा और कवयित्री दीपाली शर्मा ने रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पंक्तियाँ-“जब नाश मनुष्य पर छाता है’ पहले विवेक मर जाता है” सुनाकर सरस्वती वंदना ‘माँ शारदे प्रकाश जग में फैलाइयै’, तथा बेटियों के महत्व पर आधारित ‘शक्ति स्वरूपा होती हैं लड़कियाँ’ ओजपूर्ण कविताऐं प्रस्तुत की। कवि आशीष मिश्रा ने आजादी का अमृत महोत्सव से संबंधित कविता के माध्यम से आजादी का महत्व प्रस्तुत किया।
प्राचार्य शैलेंद्र कुमार दीक्षित ने कवियों का महत्व बताते हुए कहा की समाज को सजाने सवाँरने व नष्ट करने की क्षमता कवि में होती है। कवियों ने समाज को विश्लेषणात्मक, तुलनात्मक, समीक्षात्मक दर्शन दिए हैं। साहित्य विहीन समाज मृत होता है।
डॉल्फिन प्राचार्य रमेश शर्मा ने भी संबोधित किया। अंत में संदीप रावत की इन पंक्तियों-“स्मृतियों का कोई आकार नहीं होता, भावनाओं का कोई प्रतिकार नहीं होता, अपने तो अपने होते हैं, अपनों का कोई आभार नहीं होता, कार्यक्रम का समापन हुआ।