जहाँ प्रेम होता है बहीं परमात्मा होता है : शास्त्री

श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर हुआ विशाल भंडारा,

गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @महाराष्ट्र रमाकांत उपाध्याय/

प्रेम और प्यार मै वहुत अन्तर होता है भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सोलह हजार एक सौ आठ पत्नियों से कहा कि व्रज मण्डल कि गोपियों की तरह हमे कोई प्रेम नहीं कर सकता क्योंकि जहाँ प्रेम होता है वहां परमात्मा होता है और जहाँ प्यार होता है वहां संसार कि वासना होती है। यह बात महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में भादबड़ में श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव में अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित महेन्द्रकृष्ण शास्त्री वृन्दावन ने कहीं। उन्होंने कहा कि जहाँ वासना होती है वहां जीव मुझ परमात्मा को कभी भी वहां प्राप्त नहीं कर सकता इसिलिए

प्रेमैक रूपाः पशवो वदन्ति

प्रेम मुझ श्रीकृष्ण का ही एक स्वरूप है !

कथा व्यास शास्त्री ने कहा कि मित्रता मै कभी भी परस्पर लेन देन नहीं करना चाहिए। जिस मित्रता मै लेन देन की आदत पढ जाए एक दिन वही मित्रता शत्रुता मै परिवर्तित हो जाती है।

सुदामा जी ने अपने मित्र सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड के अधिपति भगवान श्रीकृष्ण से कुछ भी नहीं मांगा और मित्र वही होता है ! जो मित्र कि परिस्थिति को देखकर उस मित्र का सहयोग करने के लिए सवसे आगे खडा रहे । मित्र के वोले ही विना । भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह मित्र इस कलिकाल मै मिलना आसमान मै तारों कि गिनती करने के वरावर है। संगीतमय भजनों की धुन पर श्रोता नृत्य करते नजर आए। कथा के समापन पर भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें प्रसादी ग्रहण की गई। नम आंखों से दी विदाई

कथा विश्राम के पश्चात सम्पूर्ण नगर वासियों ने बडे ही धूम धाम से अश्रुपूरित विदाई की। सम्पूर्ण भादवड वासियों का प्रेम अद्भुत रहा।

Some Useful Tools tools