गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @ भोपाल रविकांत उपाध्याय/
गुरुवार को विधानसभा में ओबीसी आरक्षण बगैर पंचायत चुनाव को लेकर जमकर हंगामा देखा गया। पक्ष-विपक्ष के नेता एक दूसरे पर आरोप लगाते देखे गए। हंगामे के बीच विधानसभा स्थगित भी करनी पड़ी।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री व विधानसभा में सदन के नेता सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह सदन सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित करता है कि बिना ओबीसी आरक्षण के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव ना कराए जाएं। सभी सदस्यों ने हाथ उठाकर इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
इसके बाद भी मैं सदन से कहना चाहता हूं कि बिना इतने बड़े वर्ग के आरक्षण के चुनाव में जाना ना तो तर्कसंगत है, ना प्रदेश के हित में है। इसलिए हम हर संभव प्रयास करेंगे। कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। जो भी संभव है, सब किया जाएगा कि पंचायत चुनाव ओबीसी के आरक्षण के साथ ही हो।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 23, 2021
मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा कि हम हर संभव कोशिश करेंगे कि बिना ओबीसी के चुनाव ना हो इसके लिए सभी प्रक्रिया कर रहे हैं। विधानसभा द्वारा संकल्प पारित करने के बाद अब पंचायत चुनाव टलने के आसार बन गए हैं। राज्य निर्वाचन आयोग को अब तय करना है कि चुनाव कराए जाएं या नहीं। आयोग अभी इंतजार में है कि सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर क्या फैसला देता है। हंगामे के बीच पारित हुए 5 विधेयक और अनुपूरक बजट, इसके बाद कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
नेता प्रतिपक्ष ने भी कहा रोके जाएँ चुनाव
विधानसभा के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के नेताओ ने पंचायत चुनाव के मुद्दे पर हंगामा करना शुरू कर दिया। एक तरफ पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही है, दूसरी ओर कोर्ट में जाने की बात कही जा रही है। नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि हम चाहते हैं चुनाव को तत्काल रोका जाए।
जमकर हंगामा, एक दूसरे पर आरोप
गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि हमने रिव्यू पिटीशन दाखिल कर दी है। अर्जेंट हेयरिंग को लेकर कोर्ट से आग्रह कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के विधायक उनके इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और आसंदी के सामने आकर नारेबाजी करने लगे। इस पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस यहां पर घड़ियाली आंसू बहा रही है प्रतिदिन प्रश्नकाल को बाधित किया जा रहा है। हमने जो कहा उसका अक्षरश: पालन कर रहे हैं। ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव हो, हम इसी दिशा में आगे बढ रहे हैं। तभी सत्ता पक्ष से विश्वास सारंग और भूपेंद्र सिंह खड़े हुए और विपक्ष से बहस करने लगे।
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि गुजरात और छत्तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव हो रहे हैं, लेकिन मप्र में कांग्रेस ने कोर्ट में जाकर ओबीसी आरक्षण को रोकने का काम किया है। विवेक तन्खा वहां पर पैरवी कर रहे हैं।
दोपहर 12 बजे के बाद सदन की कार्यवाही पुन: शुरू होने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपनी बात रखी। विधानसभा में सदन के नेता के तौर पर शिवराज ने कहा कि हम चाहते हैं कि बिना ओबीसी आरक्षण के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव ना कराए जाएं। सभी सदस्यों ने हाथ उठाकर इस प्रस्ताव का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव को लेकर आक्रोश है। हम नहीं चाहते हैं कि बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सदन सर्वसम्मति से संकल्प पारित करके यह ऐतिहासिक फैसला करे कि पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही हों।
इस पर नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि हम तो यही कह रहे थे कि सदन से संकल्प पारित किया जाए। हालांकि संकल्प प्रस्तुति के दौरान सदन में हंगामा भी हुआ। मुख्यमंत्री संकल्प पारित होने के बाद सदन से निकल गए।
सुप्रीम कोर्ट से आस
मध्य प्रदेश में पंचायतों के त्रिस्तरीय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग, ओबीसी की सीटों को सामान्य में परिवर्तित के फैसले को रिकाल व मोडीफाइड करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी के संगठनों की ओर से याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। मध्य प्रदेश शासन की ओर से भी रिकाल आफ आर्डर की याचिका दाखिल की गई है।
प्रदेशभर में असर, भाजपा ने जलाए पुतले, कांग्रेस ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
ओबीसी आरक्षण के बगैर पंचायत चुनाव प्रक्रिया जारी रहने से प्रदेशभर में माहौल बिगड़ रहा है। पक्ष-विपक्ष जहाँ एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं तो ओबीसी नेता भी इसके लिए सड़क पर उतर आए हैं। सबका कहना है कि ओबीसी आरक्षण के साथ ही चुनाव हो जाए। भाजपा ने प्रदेशभर में कांग्रेस नेताओं के पुतले जलाए, जबकि कांग्रेसने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार पर हमला बोला।