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बाल संस्थानों में निवासरतों की पहचान सार्वजनिक करना अपराध

छः माह की कैद और 2 लाख रूपये तक जुर्माना का दंड

गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल@विदिशा रमाकांत उपाध्याय/

बाल देखरेख संस्थानों में निवासरत बच्चों की पहचान सार्वजनिक नहीं करें। उनकी पहचान सार्वजनिक करने वाले व्यक्ति या व्यक्तियों को 6 माह की जेल और 2 लाख रूपये तक के जुर्माने का अधिनियम में प्रावधान है।

यह जानकारी देते हुए सामाजिक न्याय विभाग के उप संचालक डॉ  पीके मिश्रा ने बताया कि किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 41 (2) के तहत बाल देखरेख संप्रेक्षण गृह संचालित किये जा रहे है। किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 74 के अन्तर्गत बाल देखरेख संस्थानों में निवासरत बालकों की पहचान सार्वजनिक न की जाये। धारा 74 के अनुसार किसी जांच या अन्वेषण या न्यायिक प्रक्रिया के संबंध में किसी समाचार पत्र, पत्रिका, न्यू-सीट या श्रव्य-दृश्य माध्यम या संचार के किसी अन्य रूप में किसी रिपोर्ट में ऐसा नाम, पते या विद्यालय या किसी अन्य विशिष्ट को प्रकट न करें। जिससे कि विधि के विरोध में किसी बालक या देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता में किसी बालक या बाल पीड़ित व्यक्ति या किसी साक्षी, जो तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन ऐसे मामले में शामिल है न ही पहचान प्रकट हो सकती है और न ही ऐसे बालक का कोई चित्र प्रकाशित किया जाये।

उन्होंने बताया कि उपधारा (1) के उपबन्धों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को छः मास तक का कारावास हो सकेगा एवं दो लाख रूपये तक का जुर्माना या दोनों से, दण्डित किया जायेगा। किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 74 के परिपालन में बाल देखरेख संस्थानों में निवासरत बालकों की पहचान सार्वजनिक न किया जायें।

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