गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @ विदिशा रमाकांत उपाध्याय/ 9893909059
संविधान दिवस के अवसर पर शुक्रवार 26 नवम्बर को जिला एवं तहसील न्यायालयों में एक साथ प्रातः 11 बजे से संविधान की प्रस्तावना (उद्वेशिका) का वाचन किया गया है। विधिक जागरूकता शिविर के माध्यम से भारतीय संविधान की निहित बिन्दुओं पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है।
जिला न्यायालय परिसर में प्रस्तावना (उद्वेशिका) का वाचन विशेष न्यायाधीश श्रीमती माया विश्वास लाल के द्वारा किया गया। जिसे अन्य न्यायाधीशगणो एवं न्यायालयीन अधिकारी, कर्मचारियों के द्वारा दोहराया गया है। संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए पोर्टल पर प्रस्तावना के भाषण कार्यक्रम को देखा-सुना गया है।
इस अवसर पर विशेष न्यायाधीश श्रीमती माया विश्वास के द्वारा बताया गया कि हमारे देश में 26 नवम्बर 1949 को ही संविधान को औपचारिक रूप से मनाया गया था। भारतीय संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा द्वारा डॉ भीमराव अम्बेडकर के नेतृत्व में प्रारूप समिति का गठन किया गया। फलस्वरूप संविधान सभा ने भारत के संविधान को दो वर्ष 11 माह 18 दिन में तैयार कर 26 नवम्बर 1949 को राष्ट्र को समर्पित किया। डॉ भीमराव अम्बेडकर के योगदान को दृष्टिगत रखते हुए उनकी 125 वीं जयंती के अवसर पर 26 नवम्बर 2015 को पहली बार भारत सरकार द्वारा संविधान दिवस मनाया गया तथा प्रत्येक वर्ष 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन भी किया गया जिसमें सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण उपेन्द्र प्रताप सिंह के द्वारा बताया गया कि भारत का संविधान देश की सर्वोच्च विधि है तथा भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषता है कि यह एक लिखित और विस्तृत संविधान है। भारत में लोकतांत्रिक सरकार है इसमें जनता द्वारा निर्वाचित सदस्य संसद एवं विधानसभा के माध्यम से लोक कल्याणकारी कानूनों का निर्माण करते है। भारतीय संविधान में समस्त नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए है जो उनके मानव अधिकारो की रक्षा करते है।