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जानिए क्या होता है रेंट एग्रीमेंट और ये क्यों आवश्यक है

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रेंट एग्रीमेंट क्या होता है- इसमें उन शर्तों का जिक्र होता है, जिस आधार पर प्रॉपर्टी किराए पर दी जाती है। इसमें रेंट वैल्यू और पीरियड का जिक्र होता है। साथ ही, सिक्योरिटी डिपॉजिट की भी बात रहती है, जिसे किराएदार को मकान मालिक के पास जमा करना होता है। एग्रीमेंट में किराया भुगतान किए जाने की तारीख का भी साफ-साफ जिक्र होना चाहिए। मिसाल के तौर पर यह हर महीने की 5वीं या 10वीं तारीख को हो सकती है। अगर किराएदार संबंधित अवधि के भीतर किराए का भुगतान नहीं करता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

इस बारे में भी एग्रीमेंट में साफ-साफ लिखा होना चाहिए। इसमें पार्किंग स्पेस, सोसायटी जिम आदि सुविधाओं का जिक्र हो सकता है। साथ ही, सोसायटी मेंटेनेंस चार्ज और क्लब फीस जैसे अतिरिक्त मासिक खर्चों के बारे में भी बताया जा सकता है। अगर सुविधाओं के लिए अतिरिक्त चार्ज की शर्तों के बारे में साफ तौर पर जिक्र हो तो यह और बेहतर हो सकता है। एग्रीमेंट में इसके बारे में यह बताया जाना चाहिए कि इसका भुगतान किसे किया जाना है। अगर दोनों में से कोई भी पक्ष एग्रीमेंट की शर्तों का पालन नहीं करता है तो संबंधित पक्ष जुर्माने का दावा कर सकता है।

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