गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @ ऋषिकेश उत्तराखंड रमाकांत उपाध्याय / 9893909059
होलिका दहन शुभ मुहूर्त (शंका समाधान)
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भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है। यदि भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिये। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिये। धर्मसिन्धु में भी इस मान्यता का समर्थन किया गया है। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्ट का स्वागत करने के जैसा है जिसका परिणाम न केवल दहन करने वाले को बल्कि शहर और देशवासियों को भी भुगतना पड़ सकता है। किसी-किसी साल भद्रा पूँछ प्रदोष के बाद और मध्य रात्रि के बीच व्याप्त ही नहीं होती तो ऐसी स्थिति में प्रदोष के समय होलिका दहन किया जा सकता है। कभी दुर्लभ स्थिति में यदि प्रदोष और भद्रा पूँछ दोनों में ही होलिका दहन सम्भव न हो तो प्रदोष के पश्चात होलिका दहन करना चाहिये।
निर्णय सिंधु के भी मतानुसार होलिका दहन भद्रा रहित प्रदोष काल व्यापिनी – फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है। इस वर्ष 18 मार्च 2022 ई. को यह दोपहर 12 घं. 47 मि. पर ही समाप्त हो रही है। जबकि 17 मार्च को यह प्रदोषव्यापिनी है। परन्तु इस दिन प्रदोष काल भद्रा से व्याप्त है। और भद्रा में होलिका दहन का सर्वदा निषेध है। इस स्थिति में भद्रापुच्छ में होलिका दहन का निर्देश शास्त्र ग्रन्थों ने दिया है। अतः होलिका दहन गुरुवार 17 मार्च 2022 ई को रात्रि 9 बजकर 1 मिनट से लेकर 10 बजकर 12 मि. के मध्य होगा। इसी अवधि में होलिका करना शास्त्र सम्मत भी है।
पूर्णिमा तिथि आरंभ? 17 मार्च दिन 01 बजकर 29 मिनट से।
पूर्णिमा तिथि समाप्त? 18 मार्च रात 12 बजकर 47 मिनट पर
भद्रा पूंछ? रात्रि 09 बजकर 1 मिनट से 10 बजकर 12 मिनट तक
भद्रा मुख? रात्रि 10 बजकर 12 मिनट से मध्यरात्री 12 बजकर 11 मिनट तक।
होलिका दहन मुहूर्त? गुरुवार 17 मार्च रात्रि 09 बजकर 01 मिनट से रात्रि 10 बजकर 12 मिनट तक।
रंगवाली होली (धुलण्डी)? 18 मार्च शुक्रवार।
पुनः ध्यान दें भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है। यदि भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिये। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिये।
पं देवशर्मा
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