UNSC में स्थायी सदस्यता के लिए भारत प्रबल दावेदार: अमेरिकी राष्ट्रपति

गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @नई दिल्ली रविकांत उपाध्याय/ 

अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ  बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता (UNSC) और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में नई दिल्ली के प्रवेश के प्रति वाशिंगटन का समर्थन दोहराते हुए कहा कि भारत इसके लिए प्रबल दावेदार है उसे सदस्यता मिलनी चाहिए।

अमेरिका के व्हाइट हाउस में दोनों नेताओं की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति बाइडन ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी बैठक के दौरान अगस्त 2021 में सुरक्षा परिषद की नयी दिल्ली द्वारा की गई अध्यक्षता के दौरान भारत के ”मजबूत नेतृत्व” की सराहना की। इसमें कहा गया, ”इस परिप्रेक्ष्य में, राष्ट्रपति बाइडन ने सुधारों से युक्त संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता तथा उन अन्य देशों के लिए अमेरिका का समर्थन दोहराया, जो बहुपक्षीय सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की आकांक्षा रखते हैं।”

बाइडन द्वारा समर्थन किए जाने से सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए भारत के प्रयासों को एक बड़ी मजबूती मिली है। संयुक्त राष्ट्र की इस शक्तिशाली इकाई में लंबे समय से लंबित सुधारों के लिए भारत अग्रिम मोर्चे पर रहा है और जोर देकर कहता रहा है कि वह इस निकाय में स्थायी सदस्य बनने का हकदार है। भारत ने जून में कहा था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधारों पर अंतर सरकारी वार्ता (IGN) का इस्तेमाल लंबे समय तक मुद्दे को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता। इसने यह बात तब कही थी जब आईजीएन से संबंधित कार्य को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने अगले सत्र में ले जाने का निर्णय किया और जी-4 (ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान) समूह द्वारा प्रस्तावित एक संशोधन को शामिल करने पर सहमति जताई।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वर्तमान में पांच स्थायी और 10 ऐसे अस्थायी सदस्य हैं, जिन्हें महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिए निर्वाचित किया जाता है। पांच स्थायी सदस्यों में रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस और चीन शामिल हैं। अब यह मांग बढ़ती जा रही है कि समकालीन वैश्विक सच्चाई को प्रदर्शित करने के लिए स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, जिसमें भारत एक प्रबल दावेदार रहा है।

संयुक्त बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक के दौरान राष्ट्रपति बाइडन ने NSG में भारत के प्रवेश के प्रति भी अपना समर्थन दोहराया। NSG 48 देशों का समूह है जो वैश्विक परमाणु व्यापार को विनियमित करता है। भारत ने जब 2016 में की NSG सदस्यता के लिए आवेदन किया था, तब से चीन इस बात पर जोर देता रहा है कि समूह में केवल उन देशों को शामिल किया जाना चाहिए जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर कर रखे हैं। उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं कर रखे हैं। भारत द्वारा आवेदन किए जाने के बाद पाकिस्तान ने भी 2016 में समूह में प्रवेश के लिए आवेदन किया था।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए बाइडन का समर्थन काफी महत्व रखता है, क्योंकि पिछले महीने अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि अमेरिका ”संयुक्त राष्ट्र में भारत के साथ काम करने को, इस महीने (अगस्त) सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता किए जाने सहित” काफी महत्व देता है। बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडन ने शुक्रवार को अपनी मुलाकात के दौरान विश्व में, खासकर हिन्द-प्रशांत और अफ्रीका क्षेत्र में वैश्विक विकास संबंधी चुनौतियों के समाधान के लिए भारत और अमेरिका की संयुक्त क्षमताओं के दोहन के वास्ते वैश्विक विकास में त्रिकोणीय सहयोग के मार्गदर्शक सिद्धांत के विस्तार का भी स्वागत किया।

इसमें कहा गया कि दोनों नेताओं ने अपने घनिष्ठ संबंधों को नया आकार दिया और विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच भागीदारी को आगे ले जाने के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत की। इसके साथ ही उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों को आगे ले जाने वाली एक स्पष्ट परिकल्पना का संकल्प भी लिया।