गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति बचाने का कार्य हर नागरिक का है – इलाहाबाद हाईकोर्ट

गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति को बचाने का कार्य देश में रहने वाले हर नागरिक का है, चाहे बह किसी भी धर्म सम्प्रदाय का हो.!!

गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल@प्रयागराज उत्तरप्रदेश रमाकांत उपाध्याय/


उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश गोहत्या रोकथाम अधिनियम की धारा 3, 5 व 8 के तहत आरोपित की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान गाय को लेकर बेहद ही अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि गाय भारत की संस्कृति का अहम हिस्सा है, इसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। और अदालत ने जावेद को जमानत देने से इनकार कर दिया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव ने कहा कि गाय को मौलिक अधिकार देने और राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को संसद में एक विधेयक लाना चाहिए

अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा, ”गाय को नुकसान पहुंचाने वालों को दंडित करने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए। गोरक्षा का कार्य केवल एक धार्मिक संप्रदाय का नहीं है, बल्कि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति को बचाने का कार्य देश में रहने वाले हर नागरिक का है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। देश की संसद में विधेयक लाकर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करना चाहिए और सख्त कानून बनाकर गाय को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.”

हाई कोर्ट ने कहा कि ”जब गाय का कल्याण होगा, तभी देश का कल्याण होगा. भारत पूरी दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं, जो अलग-अलग पूजा कर सकते हैं। लेकिन देश के लिए उनकी सोच समान है. ऐसे में जब हर कोई भारत को एकजुट करने और उसकी आस्था का समर्थन करने के लिए एक कदम आगे बढ़ाता है, तो कुछ लोग जिनकी आस्था और विश्वास देश के हित में बिल्कुल भी नहीं है, वे देश में इस तरह की बात करके उसे कमजोर करते हैं।

देश में गोशालाओं की स्थिति दयनीय
अदालत ने गोशालाओं की स्थित पर टिप्पणी करते हुए कहा, ”यह देखकर बहुत दुख होता है कि जो लोग गोरक्षा की बात करते हैं, वे गो भक्षक बन जाते हैं.” हाई कोर्ट ने कहा, ”सरकार गोशालाओं का निर्माण करवाती है, लेकिन जिन लोगों को गायों की देखभाल करनी होती है वे अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाते. इसी तरह निजी गोशालाएं भी दिखावा बनकर रह गई हैं, जिसके नाम पर लोग चंदा लेते हैं. देश में अभी जो गोशालाएं काम कर रही है उनकी स्थिति दयनीय है।


कोर्ट ने कहा 29 में से 24 राज्यों में गोवध प्रतिबंधित है। एक गाय जीवन काल में 410 से 440 लोगों का भोजन जुटाती है और गोमांस से केवल 80 लोगो का पेट भरता है। महाराजा रणजीत सिंह ने गो-हत्या पर मृत्यु दंड देने का आदेश दिया था। कई मुस्लिम व हिन्दू राजाओं ने गोवध पर रोक लगाई। मल मूत्र असाध्य रोगों में लाभकारी है। गाय की महिमा का वेदों पुराणों में बखान किया गया है। रसखान ने कहा जन्म मिले तो नंद के गायों के बीच मिले। गाय की चर्बी को लेकर मंगल पाण्डेय ने क्रांति की थी। संविधान में भी गो-संरक्षण पर बल दिया गया।

इससे पहले राजस्थान हाइकोर्ट भी सरकार को इस संबंध में दिशा निर्देश दे चुका है कुछ मुस्लिम संगठन भी लंबे समय स गाय के संरक्षण व संबर्धन के लिए आवाज उठा चुके हैं अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार को विधेयक लाकर गौवंश के लिए अहम कदम उठाना चाहिए।  

गौभक्तो में खुशी की लहर

इलाहाबाद हाईकोर्ट के सरकार को दिए निर्देश के बाद देशभर में गौभक्तो में खुशी की लहर दौड़ गई है गौभक्तो ने केंद्र सरकार से इस दिशा में कदम उठाए जाने की मांग की है।