बाल स्वास्थ्य संवर्धन योजना के उन्मुखीकरण कार्यक्रमों में शामिल हुए
गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @विदिशा रमाकांत उपाध्याय/
कुपोषण के कलंक को आगामी एक माह की अवधि में अर्थात बाल दिवस 14 नवम्बर तक कुपोषित बच्चो को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए चौतरफा रणनीति का क्रियान्वयन कर हम समाज से कुपोषण को विमुक्त कर सकते है। इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाए कि चिन्हित सेम और मेम बच्चों के अलावा अन्य बच्चो पर भी ध्यान दिया जाए ताकि धोखे से सामान्य श्रेणी के बच्चे कुपोषण श्रेणी में शामिल ना हो पाए। उक्त आश्य के विचार भोपाल संभागायुक्त श्री कवीन्द्र कियावत ने मंगलवार को विदिशा जिले में आयोजित बाल स्वास्थ्य संवर्धन योजना के उन्मुखी कार्यक्रमों में व्यक्त किए है।
संभागायुक्त श्री कियावत ने कहा कि बच्चे कुपोषित क्यों होते है उन कारणो को जानकार उन्हें दूर करना और कुपोषित बच्चो को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए आवश्यक प्रबंध जिसमें खाद्य सामग्री, आवश्यक दवाईयां इसके अलावा स्वच्छता संबंधी बिन्दुओं पर उन्होंने गहन प्रकाश डाला है। संभागायुक्त श्री कियावत ने कहा कि निर्धारित गाइड लाइन में महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ-साथ अन्य विभागो का भी सहयोग अतिआवश्यक है। उन्होंने कहा कि जिले में सेम और मेम बच्चों का चिन्हांकन किया जा चुका है अब इन बच्चों पर विशेष नजर रखनी है ताकि वे एक माह के पहले ही सामान्य श्रेणी के मापदण्डो के अनुरूप स्वस्थवर्धक हो सकें। इसके लिए उनके खान-पान, साफ सफाई, स्वास्थ्य संबंधी दवाईयों के अलावा बच्चों के अभिभावको को जागरूक करना अति आवश्यक है। इस कार्य में महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग तथा पंचायत विभाग के अमले की महती भूमिका है।
कंट्रोल रूम
संभागायुक्त श्री कियावत ने निर्देश दिए है कि प्रत्येक परियोजना स्तर पर एक-एक कंट्रोल रूम संचालित किया जाए जिसमें परियोजना स्तर के ऐसे बच्चे जो कुपोषण की श्रेणी में शामिल है। उनकी समुचित जानकारी हो। ऐसे बच्चों के अभिभावको को कंट्रोल रूम में तैनात कर्मचारी सम्पर्क कर बच्चों के स्वास्थ्य, खान-पान और स्वच्छता संबंधी जानकारियां प्राप्त करेंगे वही यदि किसी अभिभावक के द्वारा स्वच्छता या खान-पान में किसी भी प्रकार की दिक्कत आ रही है तो उसकी मदद के लिए आवश्यक संसाधनो का सहयोग लिया जाएगा।
डाइट
संभागायुक्त श्री कियावत ने पोषण आहार हेतु गृह संपर्क पर भी बल दिया है। उन्होंने कहा है कि बच्चों के माता-पिता को इस बात की जानकारी अवश्य दी जाए कि कुपोषित बच्चो को दिन में कम से कम सात-आठ बार खाना खिलाया जाए हर बार डाइट में परिवर्तन किया जाए। उन्होंने सदोहारण प्रस्तुत करते हुए बताया कि बच्चों को एक ही बार भर पेट खाना खिला देने से उनकी पाचन शक्ति प्रभावित हो सकती है अतः थोडी-थोडी मात्रा में भोजन कराने से वे अच्छी तरह से भोजन को सुपाच्य कर सकेंगे। खाने में पौष्टिकता पर विशेष बल देते हुए उन्होंने कहा कि फल और सब्जियां भोजन में अवश्य रूप से शामिल की जाए। इसके लिए अभिभावको को सब्जी उत्पादन के लिए आवश्यक बीजो की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी।
ऐसे बच्चे जिन्हें दूध की आवश्यकता है उन्हें पोषक मित्रों के माध्यम से इस कार्य में मदद लेकर आवश्यक खाद्य सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित कराई जाएगी। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग के ग्राम स्तरीय अमले से कहा कि उन्हें अपने-अपने कार्यक्षेत्र में यह ज्ञात रहता है कि किस घर में बच्चा कुपोषित है उन घरो से हर रोज जीवंत सम्पर्क बनाया जाए और चर्चा कर बच्चों की मां को अभिप्रेरित किया जाए। साथ ही पोषक खाद्य सामग्र्री की आवश्यकता की पूर्ति उस घर में हो रही है कि भी जानकारी प्राप्त करें। यदि ऐसे परिवार जो पौष्टिक खाद्य सामग्री को वहन नही कर पा रहे है उन सबके लिए अन्य की मदद ली जाए।
पोषण मित्र बनकर कुपोषित बच्चे की लें जिम्मेदारी
श्री कियावत ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पोषण मित्र सहित अन्य अमला संकल्प ले कि जब तक कुपोषित बच्चे स्वस्थ्य नहीं हो जाते प्रतिदिन उनकी देखभाल करेंगे, पोषण आहार उपलब्ध कराएंगे। पोषण मित्र, ऑगनबाड़ी कार्यकर्ता कुपोषित बच्चे की उसी तरह देखभाल करें जिस तरह वह अपने बच्चों की देखभाल करते हैं। उनके पर्याप्त पोषण आहार का ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि अगर प्रत्येक सक्षम व्यक्ति पोषण मित्र बनकर एक-एक कुपोषित बच्चे की जिम्मेदारी ले, तो कुपोषण की समस्या को खत्म किया जा सकता है। ग्राम सेवक, सरपंच, सचिव सबका दायित्व है कि गॉव के भीतर किसी भी बच्चे को कुपोषित ना रहने दें।
संभागायुक्त श्री कियावत ने कहा कि नवजात शिशु के लिए मॉ का दूध अमृत समान होता है। शिशु का पहला आहार मॉ का दूध ही होना चाहिए, यह शिशु में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसी प्रकार कुपोषित बच्चों को प्रतिदिन प्रोटीन पाउडर, पोष्टिक भोजन, फल, दूध आदि उपलब्ध कराएं। कुपोषित बच्चों को प्रतिदिन ऑगनबाड़ी लाएं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित आरोग्यम केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों पर पदस्थ सीएचओ और अन्य स्वास्थ्य अमला अपने क्षेत्र के कुपोषित बच्चों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण करें, अभिभावकों की काउंसलिंग करें, उन्हें पोषण आहार की जानकारी दें।
संभागायुक्त ने कहा कि कुपोषित बच्चें के परिवार जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है उन्हें शासन की योजना स्ट्रीट वेण्डर, स्व-सहायता समूह सहित अन्य योजनाओं से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाना होगा ताकि वह अपने बच्चे के समुचित पोषण आहर पर ध्यान दे सकें। उन्होंने निर्देश दिए कि विकासखण्ड स्तर पर कॉल सेंटर स्थापित करें। जहां प्रत्येक कुपोषित बच्चे की जानकारी हो और परिवार के सदस्यों का नम्बर हो। कॉल सेंटर से कुपोषित बच्चों के परिजनों को प्रतिदिन फोन करें। स्वास्थ्य की जानकारी लें, समझाईश दें। संभागायुक्त श्री कियावत द्वारा बच्चों को पोषण किट भी वितरित की गई।
व्यसन से दूर रहने की सलाह
संभागायुक्त श्री कवीन्द्र कियावत ने परियोजना स्तरों पर आयोजित पोषण मित्र कुपोषित बच्चों के अभिभावको का परियोजना स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम एवं स्वास्थ्य जांच शिविर में मौजूद महिलाओं से संवाद कर घर के पारिवारिक सदस्यों से को व्यसन से दूर रहने की सलाह दें। नशा करने से अनेक प्रकार की शारीरिक मानसिक परेशानियां तो होती ही है साथ ही आर्थिक हानि भी होती है अतः नशा पर पैसा खचे करने की अपेक्षा बच्चों के स्वास्थ्य व पोषक डाइट पर राशि खर्च करें ताकि आने वाली पीढी को हम शारीरिक मानसिक रूप से सशक्त बना सकें।
श्री कियावत ने कहा कि महिलाएं यदि ठान लें तो गांव में, घर में, कोई भी शराब, गुटका, सहित अन्य व्यसनों का सेवन नही कर सकेगा। जागरूकता के लिए नशा से दूर करने के अनेक उपाय संचालित किए जा रहे है अतः ऐसे व्यक्ति जो नशा के आदि हो गए है उनका नशा छुडाने के लिए महिलाएं आगे आएं।
पोषक किट
संभागायुक्त श्री कवीन्द्र कियावत, कलेक्टर श्री उमाशंकर भार्गव के अलावा अन्य अधिकारियों व अतिथियों के द्वारा आयोजन स्थलों पर कुपोषित बच्चो के परिवारजनों को पोषक किट प्रदाय की गई है जिसका सेवन बच्चों को कराने से अवगत कराया गया है।
स्टॉलो का भ्रमण
बाल स्वास्थ्य संवर्धन योजना के तहत आयोजित परियोजना स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यक्रमों में महिला एवं बाल विकास विभाग के आंगनबाडी केन्द्रो तथा स्वंयसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा सम्पूर्ण डाइट, पौष्टिक आहार पर तैयार किए गए भोज्य पदार्थो का प्रदर्शन कार्यक्रम स्थलों पर स्टॉलो के रूप में किया गया था जिसका अवलोकन संभागायुक्त सहित अन्य अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। संवाद के दौरान कमिश्नर श्री कियावत ने आंगनबाडी केन्द्रो की कार्यकर्ता, सहायिका सहित अन्य से कहा कि वे अपनी-अपनी आंगनबाडी केन्द्रो में कोई भी कुपोषित बच्चा ना हो इसके लिए घर-घर सम्पर्क कर कुपोषण के कारणो और निदानो की जानकारी दें।
संभागायुक्त श्री कवीन्द्र कियावत ने विदिशा जिला मुख्यालय पर एसएटीआई के कैलाश सत्यार्थी सभागृह कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में कुपोषित बच्चों के अभिभावको से संवाद कर उन्हें कुपोषण से बचाव के लिए किए जा रहे प्रबंधो से अवगत कराया है। इसी प्रकार ग्यारसपुर, बासौदा, कुरवाई, सिरोंज, लटेरी, नटेरन परियोजना क्षेत्रों में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल हुए।
इस अवसर पर कलेक्टर उमाशंकर भार्गव, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एपी सिंह के अलावा स्थानीय एसडीएम तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त संचालक नकीजहां कुरैशी, जिला कार्यक्रम अधिकारी बृजेश शिवहरे तथा परियोजना अधिकारी, पोषण मित्र तथा गणमान्य नागरिक व महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे।