गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल@ मुंबई रमाकांत उपाध्याय/
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ “आरएसएस” के सर संघचालक मोहन भागवत जी सोमवार को पुणे स्थित ग्लोबल स्ट्रेटेजिक पॉलिसी फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मुम्बई पहुंचे थे, जहां उन्होंने मुस्लिम विद्वानों से मुलाकात की। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आरएसएस अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ नहीं है जैसा कि विपक्ष ने झूठा दावा किया है। कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुति के बाद मोहन भागवत मुस्लिम समुदाय के सदस्यों से मिले और उनसे बातचीत की। भागवत ने कहा कि इस्लामी आक्रमणकारियों के साथ ही इस्लाम भारत में आया। उससे पहले इस्लाम नहीं था। देश में रहने वाले मुस्लिमों के पूर्वज, हिन्दूओं के पूर्वजों के समान हैं। हमें मुस्लिम वर्चस्व की नहीं बल्कि भारत वर्चस्व की सोच रखनी होगी। भारत में रहने वाले हिन्दू मुस्लिम के पूर्वज एक समान हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को भारत में डरने का जरूरत नहीं है।
मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दू कभी किसी से दुश्मनी नहीं रखते। वो सबकी भलाई सोचते हैं। इसलिए दूसरे के मत का यहां अनादर नहीं होगा। जो ऐसी सोच रखता है वो धर्म से चाहे कुछ भी हो, वह हिन्दू है। भारत महाशक्ति बनेगा लेकिन वो किसी को डराएगा नहीं। भारत विश्वगुरु के रूप में महाशक्ति बनेगा।
उन्होंने कहा कि देश को आगे बढ़ाने के लिए सबको साथ मिलकर काम करना होगा। मुस्लिमों के नेतृत्व को कट्टरपंथियों का विरोध करना चाहिए। उन्हे कट्टरपंथियों के सामने डटकर खड़ा होना चाहिए। ये कठिन है लेकिन जितनी जल्दी करेंगे उतना कम नुकसान होगा।
मोहन भागवत ने कहा- “हिंदू शब्द हमारी मातृभूमि, पूर्वजों और संस्कृति की समृद्ध विरासत के बराबर है, और हर भारतीय एक हिंदू है”।
कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हमारी एकता का आधार हमारी मातृभूमि और गौरवशाली इतिहास है। हमें आक्रमणकारियों के साथ इस्लाम के आने की कहानी बतानी पड़ेगी। यही इतिहास है। हमें एक राष्ट्र के रूप में संगठित रहना पड़ेगा। आरएसएस भी यही सोच रखता है, और हम आपको यही बताने यहां आए हैं।
मोहन भागवत के साथ-साथ केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त), कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के चांसलर ने भी संबोधित किया।