मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हम युवाओं को इतना कौशल सम्पन्न बनाएंगे कि उन्हें स्वत: रोजगार मिले। ऐसी शिक्षा जो व्यक्ति को आजीविका अर्जन में सक्षम और आत्म-निर्भर नहीं बना सकती, वह शिक्षा व्यर्थ है। रोजगारोन्मुखी शिक्षा और कौशल उन्नयन की व्यवस्था करना आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शिक्षा और कौशल संवर्धन के साथ नई पीढ़ी का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के संकल्प को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति शत-प्रतिशत पूर्ण करती है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी का आभार माना।
राज्यपाल मंगू भाई जी पटेल की गरिमामय उपस्थिति में मुख्यमंत्री चौहान ने प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने की घोषणा की। मिंटो हॉल में कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा अनुपम राजन तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों के वाईस चांसलर तथा शोधार्थी सम्मिलित हुए।
55 महाविद्यालयों के बीच हुए एमओयू
राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल तथा मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा उच्च शिक्षा विभाग की पत्रिका “सफलता के सोपान” का विमोचन किया गया। साथ ही इन्क्यूबेशन सेंटर के माध्यम से स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए विद्यार्थियों को सीड मनी का वितरण भी किया गया। जीईआर में वृद्धि के लिए दूरवर्ती शिक्षा केन्द्रों की स्थापना के लिए भोज मुक्त विश्वविद्यालय और 55 महाविद्यालयों के बीच एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर किए गए।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुकूल शिक्षा, समय की मांग
राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल ने कहा कि प्रदेश के शिक्षा संस्थान छात्र-छात्राओं को जीवन की अनंत ऊँचाइयों को छूने के लिए उड़ान भरने का लांच-पेड बने। छात्र-छात्राओं को उनकी पसंद और जरुरत की शिक्षा के अवसर देने के लिए विश्वविद्यालयों द्वारा एक्टिव नॉलेज के वेब आधारित ऑन लाइन पाठ्यक्रमों और क्रेडिट की व्यवस्था की जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा शिक्षा की पहुँच, शैक्षणिक समानता, गुणवत्ता और उपयोगिता को उत्तरदायित्व पूर्ण बनाकर, हम देश का भविष्य बदल सकते हैं। प्राचीन भारत में नालंदा, तक्षशिला जैसे शिक्षा के केन्द्र थे। नई शिक्षा नीति ने देश को एक बार फिर ज्ञान आधारित सुपर पॉवर बनाने का अवसर दिया है। विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति निर्माताओं के विजन की दिशा और दर्शन के अनुसार अपनी कार्य-दक्षता और ज्ञान भंडार का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करते हुए नीति को लागू करे। विश्वविद्यालयों का शैक्षणिक वातावरण छात्रों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करने वाला हो। छात्र जरूरी कौशलों, ज्ञान से लैस हो। शिक्षा में भाषाई बाध्यताएँ नहीं रहें। दिव्यांग छात्रों के लिये भी शिक्षा सुगम हो।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुकूल शिक्षा समय की मांग है। विश्वविद्यालयों को वर्तमान सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों और भविष्य की जरुरतों के लिए इनोवेशन के साथ रिसर्च के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित करने की आवश्यकता है। शिक्षा को महिलाओं, वंचित वर्गों में विस्तारित करने के लिए पढ़ाई के अवसरों को ऑनलाइन विस्तारित किया जाए। अंतर विषयक और बहु विषयक शिक्षा प्रणाली की सफलता के लिए शिक्षा के प्रत्येक चरण की पूर्णता पर प्रमाण-पत्र और डिप्लोमा आदि प्रदान करने की व्यवस्थाएँ हों।
शिक्षा नीति ऐसी हो जिससे युवा आत्म-निर्भर बनें और आत्म-सम्मान से भरपूर रहें
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि शिक्षा नीति ऐसी हो जिससे रोजगार और आत्म-निर्भरता के साथ स्वाभिमान, आत्म-सम्मान और समाज के प्रति दायित्व बोध में भी वृद्धि हो न कि विद्यार्थियों की कुंठा बढ़े। अत: रोजगार और कौशल उन्नयन करने वाली शिक्षा व्यवस्था आज की आवश्यकता है। जिन विद्यार्थियों को क्षेत्र विशेष में विशेषज्ञता प्राप्त करना है, वे उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर हों।
ज्ञान, कौशल और नागरिकता के संस्कार देना शिक्षा का लक्ष्य
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि ज्ञान, कौशल और नागरिकता के संस्कार देना शिक्षा का लक्ष्य है। शिक्षा वह है जो व्यक्ति को सम्पूर्णता प्रदान करे। सभी आवश्यकताओं को व्यवहारिक रूप से पूर्ण करने के साथ अंतिम लक्ष्य तक पहुँचने में सक्षम बनाएँ। इन लक्ष्यों के अनुरूप ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आवश्यक व्यवस्थाएँ की गई हैं। शिक्षा को रटंत प्रक्रिया से दक्षता की ओर ले जाने का प्रयास किया गया है। विषयों के चयन में अधिकतम विकल्प उपलब्ध कराकर प्रयास यह किया गया है कि विद्यार्थियों में शोध और अनुसंधान की प्रवृत्ति विकसित हो। उनकी नैसर्गिक और स्वाभाविक रूचियों तथा गुणों को प्रोत्साहन मिले।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विद्यार्थियों में नागरिकता के संस्कार विकसित करना आवश्यक है देश भक्ति, कर्मठता, ईमानदारी, परिश्रम, अनुशासन और बेटियों के प्रति सम्मान के भाव और संस्कार युवा वर्ग आत्मसात करें यह जरूरी है। नई शिक्षा नीति में नैतिक शिक्षा, भारतीय ज्ञान परंपरा, महापुरुषों की जीवनियों को सम्मिलित किया गया है। विद्यार्थियों को एनएसएस और एनसीसी से जोड़ने के लिए भी प्रेरित किया जाना चाहिए।
शिक्षण में क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी, कोलेबरेशन, क्यूरोसिटी और कम्युनिकेशन महत्वपूर्ण
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विश्वविद्यालयों में बेहतर शिक्षण के लिए पाँच सी को महत्वपूर्ण बताया है। यह है क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी, कोलेबरेशन, क्यूरोसिटी और कम्युनिकेशन। प्रोफेसर और लेक्चर्स का प्रशिक्षण भी आवश्यक है, ।
वाइस चांसलर करें मॉनीटरिंग, मूल्यांकन और दें मार्गदर्शन
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलरों का काम केवल कॉलेजों को संबद्धता देना नहीं है। शिक्षा का उद्देश्य पूरा करने वाली शिक्षा, विद्यार्थियों को मिल रही है या नहीं यह सुनिश्चित करना उनका दायित्व है। वाइस चांसलर निरंतर कॉलेजों की मॉनिटरिंग करें, मूल्यांकन करें और उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन दें। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए हर संभव प्रयास जारी रहेंगे। देश और दुनिया में जो बेहतर हो रहा है उसे अपनाना जरूरी है। बेस्ट प्रेक्टिसेज का आदान-प्रदान आवश्यक है।
विश्वविद्यालयों को शोध के केंद्र के रूप में कार्य करना चाहिए
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विश्वविद्यालयों को शोध केंद्र के रूप में कार्य करना चाहिए। बिना शोध के संपूर्णता संभव नहीं है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की बात कही गई है। मध्यप्रदेश में इसी प्रकार राज्य शोध एवं ज्ञान फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी। यह फाउंडेशन सभी शासकीय विश्वविद्यालयों के कोलेबरेशन से स्थापित किया जाएगा।
विश्वविद्यालय, उद्योगों के साथ मिलकर कार्य करें
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आज की दुनिया कोलेबरेशन की दुनिया है। अपने संसाधनों और ज्ञान को शेयर करने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय, उद्योगों के साथ मिलकर कार्य करें। कृषि और उद्योगों के साथ जोड़कर विश्वविद्यालय उनकी आवश्यकता को समझें, इससे शिक्षा को और अधिक उपयोगी बनाया जा सकेगा।
प्रदेश को अग्रणी राज्यों की पंक्ति में लाना है
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नए संकल्प के साथ हम आगे कदम बढ़ाए। मध्यप्रदेश सरकार की यह प्रतिबद्धता है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए सभी संभव प्रयास किए जाएंगे और हम प्रदेश को अग्रणी राज्यों की पंक्ति में लाकर खड़ा करेंगे।
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में कृषि संकाय आरंभ
उच्च शिक्षा मंत्री श्री मोहन यादव ने कहा कि शिक्षा नीति में बदलाव के लिए वर्ष 1968 और 1986 में भी प्रयास हुए, परंतु वह प्रभावी नहीं रहे। देश को ऐसी नीति नहीं चाहिए जो बेरोजगारों की भीड़ बढ़ाती रहे। प्रदेश का सकल नामांकन अनुपात बढ़कर 24. 2 हो गया है, जो राष्ट्रीय अनुपात से केवल 2.9 ही पीछे है। इसमें वृद्धि के लिए प्रयास जारी हैं। आज विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में कृषि संकाय आरंभ किया जा रहा है। कृषि के साथ उद्यानिकी, चिकित्सा, खाद्य प्र-संस्करण जैसे संकाय सभी विश्वविद्यालयों में आरंभ हों। यह गतिविधियाँ विश्वविद्यालयों को अकादमिक स्वतंत्रता देंगी और युवाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराएंगी। इससे उन्हें देश–दुनिया में बेहतर अवसर मिलेंगे।
प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वरूप प्रधानमंत्री श्री मोदी की परिकल्पना के अनुरूप
प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्री अनुपम राजन ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रदेश में लागू करने के लिए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में टास्क फोर्स का गठन किया गया था। विषय-विशेषज्ञों और कुलपतियों के साथ विचार-विमर्श उपरांत राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संकल्पों को समग्रता में लागू करने का प्रयास किया गया है। वर्तमान में एक सितंबर से आरंभ होने वाले सत्र में शिक्षा नीति उसी स्वरूप में लागू होगी, जिसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण बिंदु जैसे 4 वर्षीय डिग्री कोर्स, बहु संकाय अध्यापन व्यवस्था, सर्टिफिकेट डिप्लोमा-डिग्री कोर्स की व्यवस्था को सुनिश्चित किया गया है। साथ ही नीति में चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम, अकादमिक संरचना और स्वरूप और क्रेडिट हस्तांतरण एवं प्रबंधन पर विशेष तकनीकी-सत्र भी आयोजित किए गए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
सत्र 2021-22 से प्रदेश के सभी महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू कर दी गई है। मध्यप्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाला देश का अग्रणी राज्य है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत स्नातक स्तर पर 4 वर्षीय पाठ्यक्रम के साथ-साथ च्वाईस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम विद्यार्थियों के लिए रहेगा। इसके साथ रोजगारपरक व्यवसायिक पाठ्यक्रम, बहुप्रविष्टि एवं बहुनिकास की उपलब्धता, भारतीय ज्ञान परंपरा का पाठ्यक्रम में प्रवेश, क्रेडिट हस्तांतरण की सुविधा, प्रत्येक विद्यार्थी को ऑनर्स पाठ्यक्रम करने का अवसर, कला, विज्ञान, शारीरिक शिक्षा तथा अन्य गतिविधियों को बढ़ावा, व्यवहारिक शिक्षा और जीवन कौशल को विकसित करना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शामिल है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत 04 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में कुल 160 क्रेडिट विद्यार्थियों के लिये रहेंगे तथा वैकल्पिक विषय चयन की सुविधा रहेगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत स्नातक स्तर पर विषयों के चयन में एक मुख्य विषय, एक गौण विषय, एक वैकल्पिक विषय तथा एक व्यवसायिक पाठ्यक्रम(कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम), अनिवार्य विषय के रूप में आधार पाठ्यक्रम(योग्यता संवर्धन पाठ्यक्रम), इंटरनशिप/ परियोजना कार्य होंगे।
महाविद्यालयों में मांग के अनुरूप सर्टिफिकेट/डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए 160 महाविद्यालयों में 282 सट्रिफिकेट तथा 177 डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के संचालन की अनुमति जारी कर दी गई है।