गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल@विदिशा रमाकांत उपाध्याय/
पहले बरसात में होने वाली ऐसी बीमारियों से बचाव के लिए गांव गांव, घर घर धूपन का प्रयोग किया जाता था। देहात में भिक्षुओं का एक दल इस धूपन सामग्री के साथ घर घर जाता और बीमारियां फैलाने वाले वायरस को भी नष्ट करता था। जानवरों को भी इस तरह की बीमारियों से बचाने के लिए इस सामग्री का प्रयोग किया जाता था।
आज भी हम और आप इस सामग्री का उपयोग कर सकते हैं। यज्ञ कुण्ड अथवा किसी मिट्टी के पात्र में सूखी लकड़ियां रखकर उसके उपर घी मिली हवन सामग्री इस प्रकार से रखें कि लकड़ियों के बीच रखा कपूर जलाया जा सके। एक बार अग्नि प्रज्वलित होने पर इस हवन सामग्री में गूगल, लोबान और अजवाइन डालें, ये तीनों चीजें बराबर मात्रा में हों। इस के साथ नीम के सूखे पत्ते, तुलसी पत्र, गिलोय, अर्जुन की छाल अथवा नीम की सूखी लकड़ी, इन में से जो भी सहजता से उपलब्ध हों, का प्रयोग किया जा सकता है। इस सामग्री को पूरी तरह जलने नहीं देना है ताकि पर्याप्त मात्रा में धुआं निकलता रहे।
इस धुएं के प्रयोग से हानिकारक कीटाणुओं के साथ साथ मच्छरों से भी छुटकारा मिल जाता है। घर की अलमारी में रखे कपडे व जूतों में भी इस धूपन का प्रयोग करना चाहिए ताकि नमी में पनपने वाले कीटाणुओं की संख्या में कमी हो।
यह प्रयोग अपनी सुविधा के अनुसार प्रतिदिन, प्रति सप्ताह या महीने में दो बार करना चाहिए
साभार : वैद्य सुरेन्द्र चौधरी, विश्व_आयुर्वेद_परिषद