पौधे लगाकर उन्हें सहेजने का लें संकल्प, बासौदा विधायक ने की अपील

राजेंद्रनगर स्थित लक्ष्मीबाई पार्क में नगरपालिका व पंचतत्व द्वारा मियावाकी पद्धति से हुआ विशाल पौधरोपण कार्यक्रम

गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल@गंजबासौदा रमाकांत उपाध्याय/


प्रदेश के मुखिया शिवराज जी द्वारा प्रतिदिन पौधरोपण करने का संकल्प लेकर लगातार पौधे लगाए जा रहे हैं हमें भी उनसे प्रेरणा लेकर पौधरोपण करना चाहिए और उसकी देखभाल के संकल्प भी लेना चाहिए यह बात क्षेत्रीय विधायक श्रीमति लीना संजय जी जैन ने राजेंद्रनगर स्थित लक्ष्मीबाई पार्क में नगरपालिका व पंचतत्व द्वारा आयोजित विशाल पौधरोपण कार्यक्रम में कही। उन्होंने सभी से अपील करते हुए पौधरोपण भी किया।

पंचतत्व संरक्षण समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह दांगी ने जापानी वैज्ञानिक पद्धति मियावाकी की जानकारी देते हुए बताया कि यह एक वैज्ञानिक पद्धति है। उन्होंने कहा कि अब एक एक पेड़ नही बल्कि जंगल लगाने का समय है। विश्व की तुलना में हमारा प्रति व्यक्ति पौधे का ओसत कम है।


इस मौके पर देहात थाना प्रभारी महेंद्र शाक्य, प्रभारी सीएमओ अभिषेक बाथम, पंचतत्व के डॉक्टर जितेंद्र सिंह राजपूत, संदेश जैन, आनंद मिश्रा, महेश गुप्ता, अमित चौकसे, बृजेन्द्र दांगी, भाजपा के वरिष्ठ नेतागण लक्ष्मीकांत शर्मा, प्रभात शर्मा, गोविंद पटेल, जगदीश झा, राजेश अरोरा, संदीप ठाकुर, रामनारायण मीना, रामकरण अहिरवार, दीपक शर्मा, अरुण दांगी, अमरीश विलगैया, कपिल शर्मा,माखन प्रजापति,भगवान सिंह भावसार, नपा के राजेश नेमा, वरुणेंद्र चौवे, अमित शर्मा,नरेंद्र डे सहित पर्यावरण प्रेमियों ने पौधरोपण किया।

जाने क्या है मियावाकी पद्धति

यह वनरोपण की एक पद्धति है जिसका आविष्कार “मियावाकी नामक जापान के एक वनस्पतिशास्त्री” ने किया था. इसमें छोटे-छोटे स्थानों पर छोटे-छोटे पौधे रोपे जाते हैं जो साधारण पौधों की तुलना में दस गुनी तेजी से बढ़ते हैं।
यह पद्धति विश्व-भर में लोकप्रिय है और इसने शहरी वनरोपण की संकल्पना में क्रांति ला दी है। दूसरे शब्दों में, घरों और परिसरों के पिछवाड़ों को उपवन में परिवर्तित कर दिया है। चेन्नई में भी यह पद्धति अपनाई जा चुकी है।
इस पद्धति की प्रक्रिया
सबसे पहले एक गड्ढा बनाना होता है. जिसका आकार प्रकार भूमि की उपलबध्ता पर निर्भर होता है। गड्ढा खोदने के भी पहले तीन प्रजातियों की एक सूची बनानी होती है. इसके लिए ऐसे पौधे चुने जाते हैं जिनकी ऊँचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग हो सकती है।
अब इस गड्ढे में कम्पोस्ट की एक परत डाली जाती है. तत्पश्चात् बगासे (bagasse) और खोपरों (coconut shells) जैसे प्राकृतिक कचरे की एक परत गिराई जाती है और सबसे ऊपर लाल मिट्टी की एक परत बिछाई जाती है।
तीनों पौधे एक साथ नहीं रोप कर थोड़े-थोड़े दिन पर रोप जाते हैं और इनके पेड़ कितने बड़े होंगे इस पर भी विचार किया जाता है.
यह पूरी प्रक्रिया 2-3 सप्ताह में पूरी हो जाती है।
इन पौधों को नियमित रूप से एक वर्ष तक संधारित किया जाता है।