SCIENCE तुम्हें उड़ने की क्षमता देता है- वैज्ञानिक डीपी यादव

सैण्ट एस.आर एस स्कूल में मनाया गया एन एस एस स्थापना दिवस
गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @गंजबासौदा रविकांत उपाध्याय/

साइंस लेने वाले सभी छात्रों को तय करना होगा कि क्या वे विज्ञान के साथ प्रगति करना चाहते हैं ,यदि हां, तो उनके लिए जमीन के अंदर से लेकर दूरस्थ आकाश में उड़ने का अवसर प्राप्त हो सकता है। विज्ञान हमें उड़ने की क्षमता प्रदान करता है, जिसका अधिकतम उपयोग करने की क्षमता हमें अपने आप में जगाना होगी। भारत आज विज्ञान के क्षेत्र में विश्व की महाशक्तियों के समकक्ष खड़ा है। हम भी चांद तारों से लेकर मंगल ग्रह तक की यात्रा पर जाने के योग्य बन चुके हैं। इस सब का श्रेय भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान संस्था इसरो को जाता है। जिसमें कई वैज्ञानिक लगातार देश सेवा में जुटे हुए हैं। यह बात स्थानीय सैण्ट एस .आर.एस पब्लिक हायर सैकण्डरी स्कूल में एन एस एस की स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इसरो में युवा वैज्ञानिक धर्वेन्द्र प्रताप यादव ने साइंस विषय के उत्साही युवाओं को सम्बोधित करते हुए कही। इस अवसर पर उन्होंने अपने जीवन यात्रा का उल्लेख करते हुए बताया कि कोई भी जिज्ञासु युवा भारतीय विज्ञान जगत में वैज्ञानिक के रूप में अपनी सेवाएं देते हुए आगे जा सकता है। इस मौके पर पूर्व एन .एस .एस प्रभारी राजेश यादव ने एन एस एस की स्थापना के उद्देश्य एवं लक्ष्य को प्रतिपादित करते हुए बताया कि आम युवा और एनएसएस के स्वयं सेवक में मूलभूत अंतर होता है, एनएसएस स्वयं सेवक घरों से प्राप्त विकारों से उठकर देश सेवक बन जाता है।

संस्था के डायरेक्टर के एस यादव ने सभी को एनएसएस स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आप अगले दो सालों में एनएसएस के माध्यम से सच्चे राष्टसेवक, समाज सुधारक और सम्पूर्ण व्यक्तित्व वाला इंसान बन सकते हैं।

प्राचार्य उमेश चंद्र यादव ने सभी छात्रों को सच्चा स्वयं सेवक बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि कोई जन्म से स्वयंसेवक नहीं होता है, वह एनएसएस के माध्यम से छोटी-छोटी चीजों को सीखकर, जीवन में तथा उन्हें अपना कर स्वयंसेवक बन जाता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती पूजन और स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। इस मौके पर वक्ताओं एनएसएस प्रभारी बालक इकाई प्रमुख केपीएस चैहान, बालिका इकाई प्रभारी श्रीमती रत्ना देशपांडे ने स्वयंसेवकों को श्रमदान, पर्यावरण का महत्व समझाया। कार्यक्रम का संचालन दिनकर कद्रे ने किया।