भारत विश्व में कंटेन्ट का उपमहाद्वीप बनने की क्षमता रखता है।
‘भारतीय सिनेमा और सॉफ्ट पावर’ पर दो दिवसीय संगोष्ठी का मुंबई में समापन; भारतीय फिल्मों को वैश्विक दर्शकों तक ले जाने के तौर तरीकों पर चर्चा
गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @ मुंबई महाराष्ट्र रविकांत उपाध्याय/ 8085883358
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि एक सॉफ्ट पावर के रूप में सिनेमा, राष्ट्र के ब्रांडिंग के प्रयासों में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। मुंबई में दो दिवसीय संगोष्ठी के समापन सत्र को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि “भारतीय फिल्म उद्योग और सरकार आज उच्चतम स्तर पर संस्कृति की क्षमता को पहचानते हैं।” किसी भी देश की सॉफ्ट पावर” में अपनी संस्कृति का चित्रण एक बहुत ही मजबूत घटक होता है।
मंत्री महोदय ने कहा कि वैश्विक बाज़ार में खुद को आकर्षक बनाने के लिए किसी राष्ट्र की वैचारिक क्षमताएं समकालीन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण पहलू बन गईं है। उन्होंने कहा कि, “सिनेमा राष्ट्र की ब्रांडिंग के प्रयासों में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।”
मंत्री महोदय का कहना था कि तेजी से हुए उदारीकरण, नियंत्रण में छूट, मीडिया और संस्कृति के निजीकरण ने पिछले कुछ दशकों में भारतीय फिल्म उद्योग को बदल दिया है, और साथ ही वैश्विक डिजिटल मीडिया उद्योगों और वितरण प्रौद्योगिकियों के विस्तार ने भारतीय मनोरंजन चैनलों और फिल्में का वैश्विक मीडिया में अधिक से अधिक उपस्थिति और दृश्यता सुनिश्चित की है।
विश्व मानचित्र पर भारतीय सिनेमा की बढ़ती लोकप्रियता की बात करते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि “आज हिंदी फिल्में दुनिया भर में एक साथ रिलीज होती हैं और इसके सितारों के चेहरे अंतरराष्ट्रीय विज्ञापन और मनोरंजन क्षेत्र में पहचान पाते हैं।” उन्होंने कहा कि “यहां तक कि दूर-दराज के अफ्रीकी देश भी हमारी फिल्मों और संगीत से मोहित हैं। हम नाइजीरिया जैसे देशों के बारे में जानते हैं जहां का नॉलिवुड बाजार भारतीय सिनेमा से बहुत प्रेरणा लेता है; बॉलीवुड ने लैटिन अमेरिका जैसे अज्ञात देशों में भी विस्तार किया है तथा हमारा सिनेमा दक्षिण कोरिया, जापान, चीन जैसे देशों में भी पैठ बना रहा है।”
मंत्री महोदय ने ने भारतीय भाषाई सिनेमा द्वारा निभाई जा रही भूमिका पर भी जोर दिया। “सिर्फ हिंदी फिल्में ही नहीं बल्कि भारतीय भाषाओं की फिल्मों को भी अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक दर्शक मिल रहे हैं।
लोक कूटनीति में फिल्म उद्योग की भूमिका के बारे में बोलते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि विश्व भर मैं फैले भारतीय मूल के लोगों में खूब लोकप्रिय सिनेमा के वैश्वीकरण से इस में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा “हमें भारत को ब्रांड बनाने के लिए सामग्री तैयार करने और देश को दुनिया का सामग्री उपमहाद्वीप बनाने के लिए हमें फिल्म बिरादरी और भारत की ताकत का इस्तेमाल करते हुए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
विदेशी भाषाओं में सब टाइटल (उपशीर्षक) को संस्थागत बनाने की आवश्यकता : विनय सहस्रबुद्धे
सभा को संबोधित करते हुए, आईसीसीआर के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से 95 से अधिक प्रतिनिधियों ने संगोष्ठी में भाग लिया जिसमें भारतीय सिनेमा और उसकी सॉफ्ट पावर के आइडिया पर शायद पहली बार चर्चा की गई।
दुनिया भर में भारतीय फिल्मों की पहुंच बढ़ाने के लिए, श्री सहस्रबुद्धे ने विदेशी भाषाओं में भारतीय फिल्मों के उपशीर्षक के लिए संस्थागत व्यवस्था करने की वकालत की विशेष रूप से उन देशों की भाषाओं में जहां भारत का सांस्कृतिक प्रभाव मजबूत है जैसे म्यांमार, मलेशिया, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान आदि। श्री सहस्रबुद्धे ने बताया कि आईसीसीआर भारत में विदेशी भाषा के प्रशिक्षण और सॉफ्ट पावर पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करेगा।
आईसीसीआर अध्यक्ष ने यह भी कहा कि हम अपने भाषाई सिनेमा को उन प्रवासी भारतीयों के लिए पेश कर सकते हैं जो पीछे छोड़ गए अपनी संस्कृति के बारे में उदासीन हैं। उन्होंने राय दी कि ‘सॉफ्ट पावर प्रमोशन फ्रेंडली फिल्म्स’ की फिल्म अवॉर्ड्स में एक श्रेणी बनाई जा सकती है। “वे फिल्में जो भारत के बारे में व्यापक और सही समझ को दिखाती हैं उन्हें इस श्रेणी के तहत पुरस्कृत किया जा सकता है।”
संगोष्ठी के बारे में
आईसीसीआर और फ्लेम यूनिवर्सिटी, पुणे द्वारा आयोजित संगोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से लगभग 95 प्रतिभागियों ने भाग लिया। संगोष्ठी का उद्देश्य भारतीय सिनेकारों और सिनेमा के विद्वानों को अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर चर्चा के लिए एक साथ लाना था और समकालीन प्रासंगिक विषयों पर विचार विमर्श करना था।
प्रख्यात फिल्म निर्देशक शेखर कपूर ने कल संगोष्ठी का उद्घाटन किया था। प्रख्यात फिल्मी हस्तियों तथा प्रसिद्ध विशेषज्ञों जैसे सुभाष घई, रूपा गांगुली, भारत बाला, अंबरीश मिश्रा, अरुणाराजे पाटिल, अशोक राणे, मीनाक्षी शेडे, मनोज मुंतशिर, परेश रावल और जी पी विजय कुमार ने विभिन्न तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता की।