जिला सहकारी बैंकों के संचालन पर नजर रखना सी.ई.ओ. का कार्य है। बैंक में गड़बड़ी करने वालों पर नजर रखें और उनके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही भी करें। प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी जी ने हाल ही में सहकारिता विभाग का गठन कर गृह मंत्री अमित शाह को सहकारिता विभाग का दायित्व सौंपा है। सहकारिता क्षेत्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री डॉ. अरविन्द सिंह भदौरिया ने बुधवार 25 अगस्त को अपेक्स बैंक सभागार में आयोजित जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों की समीक्षा बैठक में उक्त बाते कही।
सहकारिता मंत्री डॉ. भदौरिया ने कहा कि उज्जैन, खरगोन और रायसेन के बैंकों द्वारा किसानों को ऋण वितरण, वसूली और अन्य बैंकिग गतिविधियों में दिये गये लक्ष्य से अधिक उपलब्धि प्राप्त की है। इसके विपरीत सतना, मुरैना और दतिया के सहकारी बैंकों की लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत कमजोर स्थिति है। उन्होंने कहा कि जिन बैंकों की कमजोर स्थिति है, ऐसे जिलों के सीईओ इस ओर विशेष ध्यान दें। उल्लेखनीय उपलब्धि प्राप्त करने वाले बैंकों के उदाहरण सामने हैं। वह स्वयं चिंतन करें और अपने बैंकों के संचालन की गतिविधियों का विश्लेषण कर उनमें सुधार लाने के लिये हर संभव प्रयास करें। काम में रुचि नहीं लेने वाले बैंकिंग स्टॉफ के संबंध में सहकारिता मंत्री डॉ. भदौरिया ने कहा कि योग्य और जिम्मेदार को दायित्व दें। अच्छे परिणाम नहीं देने अथवा लापरवाह कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करें।
सहकारिता मंत्री डॉ. भदौरिया ने कहा कि बैंकों में रचनात्मक सुधार की गतिविधियों का वार्षिक कैलेण्डर बनायें और लक्ष्य तय करें। उन्होंने कहा कि अगली बैठक इसी आधार पर की जायेगी कि किस बैंक ने कितना सुधार किया। अच्छा करने वालों को सराहा जायेगा, लेकिन लापरवाही करने वालों के लिये नरमी नहीं बरती जायेगी। सहकारिता मंत्री डॉ. भदौरिया ने शिवपुरी सहकारी बैंक में पाई गई गड़बड़ी का उल्लेख करते हुए कहा कि इस घटना पर विधि सम्मत कार्यवाही की जायेगी। इस घटना को ध्यान में रखते हुए सभी केन्द्रीय बैंक इस बात को सुनिश्चित कर लें कि कहीं भी गड़बड़ी नहीं हो, गड़बड़ी है तो तुरंत कार्यवाही करें।
बैठक में एसीएस सहकारिता अजीत केसरी ने कहा कि सहकारी बैंकों को भी दूसरे सामान्य बैंकों की तरह गतिविधियाँ संचालित करना चाहिये। उन्होंने कहा कि बैंक हैं, तो बैंकिंग की गतिविधियाँ होना चाहिये। बैंक के कर्मचारियों को बैंकिंग बिजनेस से जनरेट राजस्व से ही वेतन दिया जाता है। कुछ बैंकों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह बैंक बहुत घाटे में हैं। इनकी स्थिति बहुत कमजोर है, जिनमें सुधार लायें। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सहकारी बैंकों को मॉडर्न बैंक बनाने की टाइम लाइन तय करें। बैठक में आयुक्त सहकारिता एवं प्रशासक अपेक्स बैंक नरेश पाल कुमार, अपेक्स बैंक के एमडी पी.एस. तिवारी, सहकारिता संयुक्त आयुक्त अरविन्द सिंह सेंगर, श्रीमती अरुणा दुबे, यतीश त्रिपाठी, अरविन्द बौद्ध, आर.एस. चंदेल, के.टी. सज्जन और सभी जिलों के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के सीईओ उपस्थित थे।