उत्पादन गुणवत्ता सुधार, मार्केटिंग एवं ब्रांडिंग प्रशिक्षण के लिए किसानों की कार्यशालाएँ आयोजित की जाये : मुख्यमंत्री श्री चौहान
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना में स्थापित होंगे इन्क्यूबेशन सेंटर
प्रधानमंत्री श्री मोदी के आत्म-निर्भर भारत के संकल्प को पूर्ण करने में मध्यप्रदेश दे रहा है पूरा सहयोग
किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि का विविधीकरण आवश्यक
फूड प्रोसेसिंग इकाइयाँ ग्रामीणों के शहरी क्षेत्र में पलायन को कम करने में सहायक
कोविड काल में कृषि ने ही दिया आर्थिक अर्थ-व्यवस्था को आधार : केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर
सीहोर में अमरूद, मुरैना में सरसों और अन्य तिलहन, ग्वालियर में आलू पर आधारित होंगे इन्क्यूबेशन सेंटर
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किया ग्वालियर, मुरैना और सीहोर के इन्क्यूबेशन सेंटर्स का भूमि-पूजन
गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @ भोपाल मध्यप्रदेश रविकांत उपाध्याय/
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश संतरा, धनिया, लहसुन उत्पादन में देश में पहले नंबर पर है। अदरक, मिर्ची, अमरुद, मटर और प्याज के उत्पादन में प्रदेश पूरे देश में दूसरे नंबर पर है। अगर किसान अपने इस उत्पादन की छोटी-छोटी फ़ूड प्रोसेसिंग इकाई खोल लें, तो जनता को शुद्ध सामग्री, युवाओं को रोजगार के अवसर और किसानों को उनके उत्पाद के ठीक दाम मिल सकेंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना बनाकर ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस योजना में ग्वालियर, मुरैना और सीहोर के इनक्यूबेशन सेंटर निश्चित तौर पर मील का पत्थर साबित होंगे। प्रधानमंत्री श्री मोदी के आशीर्वाद से ये समन्वित कदम मध्यप्रदेश में फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने में एक नई क्रांति का सूत्रपात करेंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के अंतर्गत कृषि महाविद्यालय ग्वालियर, कृषि विज्ञान केन्द्र, मुरैना और कृषि महाविद्यालय, सीहोर में इन्क्यूबेशन केन्द्रों की स्थापना के लिए राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में आयोजित भूमि-पूजन एवं शिलान्यास कार्यक्रम को निवास कार्यालय से वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल, उद्यानिकी राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह भी कार्यक्रम में वर्चुअली सम्मिलित हुए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि खाद्य प्र-संस्करण की प्रक्रिया पर प्रदेश में कार्यशालाएँ आयोजित करने की आवश्यकता है। किसानों को अपने उत्पाद की गुणवत्ता सुधार, पैकेजिंग, मार्केटिंग, ब्रांडिंग के संबंध में जानकारी देने और इनकी प्रक्रियाओं से अवगत कराने के लिए कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँ। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना में किसान को 10 लाख रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी। अनुदान का 40% हिस्सा राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को विस्तार देने के लिए राज्य सरकार बड़ी यूनिट लगाने पर ढाई करोड़ रुपए तक की सब्सिडी देगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पिछले 15 साल में प्रदेश ने कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि की है। अनेक योजनाएँ बनाकर हमने प्रयत्नपूर्वक तय किया कि प्रदेश को कृषि के क्षेत्र में आगे लाएंगे। इसी का परिणाम है कि प्रदेश को अनेक बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त हुआ। मध्यप्रदेश ने कृषि उत्पादन में रिकार्ड स्थापित किए हैं। प्रदेश में 43 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदकर रिकार्ड स्थापित किया गया है। आज मध्यप्रदेश में पंजाब से भी अधिक गेहूँ पैदा होता है। मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में नित नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी के आत्म-निर्भर भारत के संकल्प को पूर्ण करने में सतत् सहयोग प्रदान कर रहा है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कृषि देश की अर्थ-व्यवस्था की रीढ़ है। राज्य सरकार फसलों के उत्पादन के साथ उद्यानिकी को प्रोत्साहित कर प्रधानमंत्री श्री मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प को पूरा करने की दिशा में सक्रिय है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि किसान की आय बढ़ाने के लिए कृषि के विविधीकरण की आवश्यकता है। फल, फूल, सब्जी, औषधियों की खेती और कृषि वानिकी को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि प्रदेश में उद्यानिकी का क्षेत्र 15 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है। प्रदेश में फल, सब्जियाँ, मसाले आदि की बड़े पैमाने पर खेती हो रही है। इन उत्पादों की प्रोसेसिंग की व्यवस्था होने से निश्चित रूप से किसानों की आय बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि देश में असंगठित खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र में लगभग 25 लाख इकाइयाँ कार्य कर रही हैं। इनमें से लगभग 66 प्रतिशत यूनिट ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और लगभग 80 प्रतिशत उद्यम परिवार आधारित हैं। यह उद्यम, ग्रामीण पारिवारिक आजीविका को बढ़ाने और ग्रामीणों के शहरी क्षेत्रों में पलायन को कम करने में सहायक हैं। अत: ग्राम स्तर पर खाद्य प्र-संस्करण के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी और उपकरणों की उपलब्धता, प्रशिक्षण, संस्थागत ऋण की उपलब्धता, उत्पादों के गुणवत्ता नियंत्रण के संबंध में जानकारी तथा सामग्री की पैकेजिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग के संबंध में आवश्यक प्रशिक्षण और वेल्यू एडिशन पर सही मार्गदर्शन उपलब्ध कराकर युवाओं को सशक्त करने की आवश्यकता है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने मध्यप्रदेश को कृषि उत्पादन में देश में अग्रणी राज्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री श्री चौहान को बधाई दी। केन्द्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि कोविड के समय जब अन्य आर्थिक गतिविधियाँ बंद थी, उस समय कृषि ने ही अर्थ-व्यवस्था को आधार प्रदान किया। भारत सरकार और मध्यप्रदेश शासन द्वारा संचालित योजनाओं से निश्चित ही गरीब और किसानों के जीवन में बदलाव आएगा।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि इन्क्यूबेशन सेंटर्स की स्थापना से किसानों को अपने उत्पादों की प्रोसेसिंग का अवसर मिलेगा। इससे किसानों की आय में निश्चित ही वृद्धि होगी। उद्यानिकी राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में प्रदेश को प्रोसेसिंग हब के रूप में विकसित करने के लिए निरंतर कार्य जारी है। सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर तथा कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति प्रो. एस.के. राव ने भी संबोधित किया।
सीहोर, मुरैना और ग्वालियर में तीन इन्क्यूवेशन सेंटर्स की स्थापना के लिए भारत सरकार द्वारा 9 करोड़ 87 लाख 85 हजार रूपए स्वीकृत किए हैं। सीहोर में अमरूद, फलों तथा सब्जियों के प्र-संस्करण के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना की जा रही है। सेंटर में खाद्य प्र-संस्करण प्रयोगशाला सहित जूस, पल्प, जैम, जैली, वेजिटेबल डिहाइड्रेशन लाइन एवं प्याज प्र-संस्करण लाइन की स्थापना होगी।
मुरैना में सरसों एवं अन्य तिलहनों, ज्वार, बाजरा, रागी और बेकरी उत्पादों के प्र-संस्करण के लिए कॉमन इन्क्यूबेशन फेसिलिटी उपलब्ध कराई जाएगी। ग्वालियर में आलू तथा आलू प्र-संस्करण लाइन एवं मिलेट आधारित कुकीज लाइन की स्थापना की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि आत्म-निर्भर भारत अभियान में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना की शुरूआत की गई है। योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे उद्योगों का विकास तथा “एक जिला-एक उत्पाद” योजना में गतिविधियों को बढ़ावा देना है। उद्यानिकी फसलें जैसे आम, आलू, टमाटर आदि जल्द खराब होते हैं। इनके रख-रखाव, प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग के लिए योजना में विशेष व्यवस्था है।