लखनऊ की एमपी एमएलए की विशेष अदालत ने गैंगरेप के मामले में सुनाई सजा, उम्रकैद के साथ दो लाख का जुर्माना, पांच साल पूर्व का मामला, बयान बदलने पर पीड़िता के खिलाफ भी जांच के आदेश
गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @ लखनऊ उत्तरप्रदेश रविकांत उपाध्याय/
उत्तरप्रदेश की सपा सरकार में मंत्री रहे रसूखदार व कद्दावर नेता गायत्री प्रसाद प्रजापति सहित आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई। इसके साथ लखनऊ के एमपी एमएलए की विशेष अदालत ने 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। 2016 में सामने आए चित्रकूट गैंगरेप मामले में दोषी पाते हुए यह सजा सुनाई गई है। जबकि चार आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
जानकारी के अनुसार 2016 में चित्रकूट की महिला ने तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके सहयोगियों पर गैंगरेप करने की शिकायत की थी। पीड़िता का कहना था कि खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति ने उन्हें खनन के पट्टे दिलाने का झांसा देकर गौतमपल्ली स्थित आवास बुलाकर कई बार रेप किया. साल 2014 से जुलाई 2016 तक उसका शोषण किया जाता रहा। पीड़िता ने उसकी नाबालिग बेटी के साथ भी रैप करने का आरोप गायत्री और उनके सहयोगियों पर लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एफआईआर
ज्ञात हो कि गायत्री प्रसाद प्रजापति समाजवादी पार्टी की सरकार में रसूखदार और प्रभावशाली राजनेता थे इसलिए पुलिस-प्रशासन ने उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। पीड़िता ने परेशान होकर सुप्रीम कोर्ट में फरियाद लगाई थी तब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पीड़िता की तरफ से गौतमपल्ली थाना में फरवरी 2017 को गायत्री और उनके सहयोगियों के खिलाफ गैंगरेप, पॉक्सो एक्ट समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी. 15 मार्च 2017 को पुलिस ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। इसके अलावा गायत्री के सहयोगी और उन्हें शरण देने के आरोपी अशोक तिवारी और आशीष शुक्ला को भी गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था।
पीड़िता के खिलाफ भी जांच के आदेश
आरोपी को बचाने के लिए पीड़िता पर काफी दबाव डाला गया, सूत्रों के अनुसार उसे रुपया व प्लॉट भी दिए गए। मामले में नया मोड़ तब आया जब रेप पीड़िता ने अपने बयान बदल दिए और गायत्री के पक्ष में बयान दे दिया। लेकिन मामले की सुनवाई के दौरान बार-बार बयान बदलना पीड़िता को भारी पड़ा और कोर्ट ने उसके खिलाफ भी जांच के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने पुलिस आयुक्त को पीड़िता के अलावा राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच करने का आदेश देते हुए कहा कि पुलिस इस बात की पड़ताल करें कि इन तीनों ने किसके प्रभाव में आकर गवाही के दौरान अपने बयान बदले।
एफआईआर में गायत्री के अलावा आशीष शुक्ला, अशोक तिवारी, अमरेंद्र सिंह पिंटू, चंद्रपाल, विकास वर्मा, रूपेश्वर उर्फ रुपेश के नाम शामिल थे. एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने फैसला सुनाते हुए गायत्री प्रसाद प्रजापति आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को गैंगरेप और पोक्सो एक्ट में दोषी पाया जबकि बाकी चारों को कोर्ट ने बरी कर दिया.