गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @लखीमपुर उत्तरप्रदेश रविकांत उपाध्याय/
उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी कांड को लेकर देशभर में बवाल बढ़ता जा रहा है, राजनीतिक दलों में इस हिंसा का राजनीतिक लाभ उठाए जाने को लेकर प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अखलेश यादव जहां धरना प्रदर्शन कर रहे हैं बही काँग्रेस से राहुल गांधी व प्रियंका गांधी ने भी हिंसा में मारे गए कुछ परिजनों से मुलाकात कर सांत्वना दी है।
इस सबके बीच यह खबर निकल कर आ रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर स्वत: संज्ञान ले लिया है। गुरुवार को चीफ जस्टिस एनवी रमणा के नेतृत्व में तीन जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी। इस पीठ में सीजेआई एनवी रमणा के साथ ही जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं। हालांकि कुुुछ वकीलों ने मंगलवार को भी लखीमपुर खीरी मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें कहा गया है कि 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान लखीमपुर खीरी में हुई घटना के संबंध में गृह मंत्रालय और पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की जाए उसमें सीबीआई को भी शामिल किया जाए
आरोप प्रत्यारोप
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के गांव में आयोजित एक समारोह में, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का वहां के आंदोलन कर रहे किसानों ने विरोध किया। इस दौरान उनके काफिले को काले झंडे दिखाये गये और रास्ता रोकने की कोशिश की गई। आरोपों के मुताबिक इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं से भारी गाड़ी ने कुछ किसानों को कुचल दिया। हादसे और इसके बाद भड़की हिंसा में 8 लोगों की मौत गई। किसानों का आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री मिश्रा का बेटा जिस एसयूवी में सवार था, उसी ने किसानों को कुचल दिया जिसमें चार किसानों की मौत हो गई। बाद में भीड़ के हमले में दो बीजेपी कार्यकर्ता समेत चार अन्य लोग मारे गए। जबकि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री इन आरोपों का खंडन कर रहे हैं।