न्यायालयीन कार्य-प्रणाली के बेहतर प्रबंधन में सहयोगी होंगे नवीन पोर्टल-न्यायमूर्ति
गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @ग्वालियर रमाकांत उपाध्याय/
प्रदेश की न्यायालयीन व्यवस्था को आज के दौर के अनुरूप समर्थ और सक्षम बनाने के लिये मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने बेहतर इंतजाम किये हैं। इसी क्रम में आज डैशबोर्ड, ऑटो इलेक्ट्रॉनिक मेल सिस्टम, लोक सेवा केंद्र (एलएसके) के साथ ई-कोर्ट सेवा, जिला न्यायालय रिपोर्टिंग सिस्टम, उच्च न्यायालय के मोबाइल एप संस्करण 2.0 की लांचिंग और हिंदी में सीआईएस 3.2 सॉफ्टवेयर पुस्तिका का बेहतर केस मैनेजमेंट के लिए विमोचन किया गया है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक ने ऑनलाइन सिस्टम के ई-उद्घाटन और लोकार्पण कार्यक्रम में उक्त बात कही। इस मौके पर जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर में बेंच, सहायक सॉलिसिटर जनरल, मध्यप्रदेश राज्य के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश और उनके न्यायिक अधिकारी, रजिस्ट्रार और अधिकारी मौजूद रहे।
न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि कार्य-प्रणाली के बेहतर प्रबंधन के लिये पहली सुविधा जो आज से उपलब्ध होने जा रही है, वह है “डैशबोर्ड” और ऑटो इलेक्ट्रॉनिक मेल सिस्टम। उन्होंने कहा कि आज से लांच किये गये विभिन्न ऑनलाइन सिस्टम में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का इस्तेमाल कार्यों को गति प्रदान करेगा। उच्च न्यायालय को वादियों और अधिवक्ताओं को ई-कोर्ट सेवाओं में सुधार के लिए बेहतर आउटपुट और निर्णय लेने की प्रक्रिया के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में सक्षम बनाएगा।
ई-कोर्ट सेवा का शुभारंभ
मध्यप्रदेश राज्य में लोक सेवा केंद्र के माध्यम से ई-कोर्ट सेवा का भी शुभारंभ आज से हो गया है। राज्य में सभी हितधारकों के लिए ई-कोर्ट सेवाओं का एकीकरण पूरा कर लिया गया है। राज्य सरकार के आईटी विभाग और उच्च न्यायालय की आईटी टीम द्वारा “लोक सेवा केंद्र” के साथ इसका संचालन किया जायेगा।
जिला न्यायालय रिपोर्टिंग प्रणाली
इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ही डिस्ट्रिक्ट कोर्ट रिपोर्टिंग सिस्टम संचालित होगा। इसमें राज्य के सभी अधीनस्थ न्यायालयों के संबंध में उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय स्तर पर उपयोग के लिए विभिन्न रिपोर्टों की सुविधा ऑनलाइन उपलब्ध रहेगी। इसमें लंबित प्रकरण, खत्म हो चुके प्रकरण, खत्म हो चुके प्रकरणों से संबंधित सारी रिपोर्ट, लंबित प्रकरणों की माहवार और श्रेणीवार जानकारियाँ, पॉक्सो और शीलभंग संबंधी रिपोर्टें, केस क्लियरेंस रिपोर्ट, डिस्ट्रिक वाइस पेंडेंसी रिपोर्ट, अब तक किये गये कार्यों की जानकारी इत्यादि सभी जानकारियाँ इलेक्ट्रॉनिकली उपलब्ध कराये जाने के प्रावधान सॉफ्टवेयर में किये गये हैं।
उच्च न्यायालय के मोबाइल एप संस्करण 2.0 का शुभारंभ
उच्च न्यायालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार को मोबाइल एप के संस्करण 2.0 का शुभारंभ किया गया। इससे पहले, मार्च, 2021 के पहले सप्ताह के दौरान उच्च न्यायालय द्वारा हितधारकों के लिए मोबाइल एप संस्करण 1.0 लांच किया गया था। अब तक यूजर्स द्वारा मोबाइल एप पर 1.0 के 26 हजार से ज्यादा डाउनलोड किए जा चुके हैं। आज लांच किये गये मोबाइल एप वर्जन 2.0 में जिला न्यायालयों और तहसील न्यायालयों की केस संबंधी जानकारी उपलब्ध रहेगी। इसकी मदद से उपयोगकर्ता/हितधारक उच्च न्यायालय और जिला न्यायालयों के ऑनलाइन न्यायालय शुल्क/प्रतिलिपि शुल्क का भुगतान आसानी से कर सकते हैं। इसमें ऑनलाइन मोड के माध्यम से जुर्माना और जब्ती, सेवा शुल्क, विभिन्न रसीदें, किराया, आरटीआई शुल्क, सिविल कोर्ट जमा आदि जमा करने का भी प्रावधान है।
बेहतर केस प्रबंधन के लिए सॉफ्टवेयर पुस्तिका का हिंदी में विमोचन
न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक ने बताया कि हिंदी भाषी राज्यों के जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के कर्मचारियों के मार्गदर्शन के लिए “हिंदी” भाषा में सीआईएस 3.2 सॉफ्टवेयर का उपयोगकर्ता मैनुअल जारी किया है। इससे आसानी से केस प्रबंधन को समझा जा सकेगा। साथ ही सॉफ्टवेयर का संचालन भी आसान होगा। उन्होंने बताया कि सीआईएस 3.2 के हिंदी उपयोगकर्ता मैनुअल को प्रकाशित करने का उद्देश्य सभी हिंदी भाषी राज्यों में कोर्ट स्टाफ के बीच सॉफ्टवेयर की बेहतर समझ लाना है। यह उपयोगकर्ता पुस्तिका बहुत ही सरल भाषा में लिखी गई है और सॉफ्टवेयर/मॉड्यूल के सभी विषयों को कवर किया गया है।
कई अन्य ऑनलाइन प्रोजेक्ट प्रगति पर
न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक ने बताया है कि प्रदेश में ऑनलाइन न्यायालयीन बेहतर प्रबंधन के लिये कई अन्य प्रोजेक्ट प्रगति पर हैं। उन्होंने कहा कि कोर्टरूम लाइव ऑडियो विजुअल स्ट्रीमिंग सिस्टम (क्लास), इंटीग्रेटेड वीडियो सर्विलांस सिस्टम (आईवीएसएस), उच्च न्यायालय और जिला न्यायपालिका के लिए अनुकूलित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग समाधान और सभी जिला न्यायालयों में सुरक्षित वाई-फाई नेटवर्क संबंधी प्रोजेक्ट का कार्य तेजी से प्रगति पर है।
न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक ने कहा कि कोर्टरूम लाइव ऑडियो विजुअल स्ट्रीमिंग सिस्टम (क्लास) और इंटीग्रेटेड वीडियो सर्विलांस सिस्टम (आईवीएसएस) परियोजना की शुरुआत की घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है। यह उच्च न्यायालय के तहत सभी अधीनस्थ न्यायालयों के हर कोर्ट रूम की लाइव स्ट्रीमिंग को सक्षम बनाएगी। एक पारदर्शी और निष्पक्ष निविदा प्रक्रिया के बाद, 24 माह की समय-सीमा में परियोजना को निष्पादित करने के लिए एक कार्यान्वयन भागीदार का चयन किया गया है। पॉयलेट प्रोजेक्ट के रूप में डिस्ट्रिक कोर्ट जबलपुर और तहसील कोर्ट पाटन का चयन किया गया है।
मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय को विश्वास है कि क्लास प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन के साथ, मध्यप्रदेश में कोर्ट रूम न केवल प्रतिभागी हितधारकों के लिए सुरक्षित हो जाएगा, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही की विरासत भी बनाएगा और निरंतर सीखने के एक युग की शुरुआत करेगा, जिससे ज्ञान और कानूनी दक्षताओं में वृद्धि होगी। मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय और मध्यप्रदेश राज्य में अधीनस्थ न्यायालयों (जिला न्यायालयों और तहसील न्यायालयों) में अनुकूलित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग समाधान लागू करने का निर्णय लिया है। इन सभी सेवाओं की शुरूआत के साथ, एम.पी. उच्च न्यायालय वकीलों, वादियों और न्यायाधीशों के लाभ के लिए आईसीटी सुविधाओं के उपयोग में अग्रणी भूमिका निभाएगा।