बालक-बालिकाओं को शौर्य पुरस्कारों से सम्मानित करने की करें पहल, राज्यपाल श्री पटेल ने म.प्र. बाल-कल्याण परिषद को दिये निर्देश
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि भावी पीढ़ी निर्माण के केन्द्र आँगनवाड़ी और प्राथमिक विद्यालय होते हैं। जरूरी है कि आँगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका आम बोल-चाल की भाषा में मातृ-शिशु स्वास्थ्य के प्रति जागृति बढ़ाएँ। बच्चों में अच्छी आदतें डालने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित करें। राज्यपाल श्री पटेल मध्यप्रदेश बाल-कल्याण परिषद की वर्चुअल बैठक को आज राजभवन से संबोधित कर रहे थे। बैठक में परिषद के उपाध्यगण, पदाधिकारी और कार्यकारिणी के सदस्य मौजूद थे।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने परिषद को बालक-बालिकाओं को शौर्य पुरस्कारों से सम्मानित करने की पहल करने के लिए कहा है। उन्होंने बच्चों की प्रतिभा को प्रदर्शन के अवसर उपलब्ध कराने के प्रयासों की जरुरत बताई। कहा कि बच्चों में असीम सम्भावनाएँ छुपी होती है। उन्हें निखारने और उचित दिशा-दर्शन की जरुरत है। इस कार्य में आँगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने एक प्रसंग के माध्यम से बताया कि गुजरात के कच्छ इलाके के एक शिक्षक दंपत्ति ने बिना विशेष साधन और संसाधन के विद्यालय के 350 बच्चों में पर्यावरण संरक्षण के संस्कार डालने के साथ ही पेड़ों से विद्यालय की चाहर दीवारी का निर्माण कर लिया था। उन्होंने बताया कि शिक्षक दंपत्ति ने विद्यालय के बच्चों से स्कूल की सीमा पर एक पौधा लगवा कर कहा कि यह पौधा आपका है। इसकी देखभाल आपकी जिम्मेदारी है। पौधें को पानी देने के लिए उनसे घर में सब्जी धोने के बाद बचें पानी को पात्र में एकत्र कर, उसके द्वारा स्कूल में लगाए गए पौधे में डलवाया। उनके इस कार्य ने स्कूल के चारों ओर हरियाली की दीवार खड़ी कर दी। उन्होंने कहा कि कोविड काल ने ऑक्सीजन और ऑक्सीजन के लिए पेड़ों की महत्ता का सबक दिया है। पेड़ लगाने और उसकी देखभाल के संबंध में जन-जागृति के कार्य व्यापक स्तर किए जाने चाहिए।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि बच्चों के खराब स्वास्थ्य को नियति मान कर बैठे रहने की प्रवृत्ति उचित नहीं है। उसे बदलने के प्रयास किए जाने चाहिए। बच्चों के खराब स्वास्थ्य का कारण कुपोषण और माता द्वारा स्तनपान नहीं कराया जाना होते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुपोषण की समस्या को खत्म करना जरुरी है। बच्चों के लिए पोषण आहार के साथ माता का दूध भी जरुरी है। स्तनपान में चूक से बच्चें का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। इस संबंध में जन-जागृति के प्रयास किए जाना जरुरी हैं। उन्होंने कहा कि स्वस्थ्य समाज के लिए सबका साथ सबका विकास और विश्वास के साथ कार्य करना जरुरी है। समाज और समाज सेवी संस्थाओं की यह जिम्मेदारी है कि वह समाज के वंचित वर्गों के साथ जीवंत संवाद कायम करें। उनको जागरुक बनाए।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि कोविड आपदा सदी की सबसे बड़ी त्रासदी है। कोविड से बचाव के लिए यह समझना और समझाना जरुरी है कि जान है तो ही जहान है। इसलिए जब तक बहुत जरुरी नहीं हो, घर से बाहर नहीं निकलें। कम से कम दो गज की दूरी बनाकर मिलें और बार-बार हाथ साबुन से धोएँ और सेनिटाइजर का उपयोग करें। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ तीसरी लहर की आशंका बता रहे हैं। प्रार्थना है कि तीसरी लहर नहीं आए किन्तु सावधानी में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।
प्रारम्भ में परिषद के सचिव अनिल सिलवड़े ने परिषद की संरचना और संयुक्त सचिव आशुतोष शास्त्री ने परिषद की गतिविधियों के संबंध में जानकारी दी। राज्यपाल के अपर सचिव मनोज खत्री, विधि अधिकारी डी.पी.एस. गौर सहित राजभवन के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।