आदि शंकराचार्य एकात्म के जीवन दर्शन के प्रणेता आदि शंकर की जंयती के उपलक्ष्य में जन अभियान परिषद शहडोल के तत्वाधान में आज कलेक्ट्रेट कार्यालय के विराट सभागार में एकात्म पर्व आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि विधायक जयसिंहनगर जयसिंह मरावी, कलेक्टर श्रीमती वंदना वैद्य, अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा, डॉ0 नीलमणि हरिप्रिया तुलसी अधिष्ठाता अध्ययन शाला भाषा पंडित एसएन शुक्ल शहडोल द्वारा आदि शंकराचार्य के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। एकात्म पर्व को सम्बोंधित करते हुए विधायक जयसिंहनगर श्री जयसिंह मरावी ने कहा कि आदि शंकराचार्य देव रूप सनातन संस्कृति के प्रणेता थें। उन्होंने समाज एवं मानव कल्याण के लिए सनातन संस्कृति को अपनाने के लिए कहा और उन्होंने लोंगो को मनचिंतन एवं मनन पर आधारित विश्व की सबसे पुरानी सनातन संस्कृति को अपनाकर मानव जीवन का कल्याणकारी बनाने का जो शिक्षा दी है उसे सभी को आत्मसात करना चाहिए और अपना जीवन आत्म चिंतन पर आधारित विकासशील बनाना चाहिए। एकात्म पर्व के अवसर पर कलेक्टर श्रीमती वंदना वैद्य ने आदि शंकराचार्य को जीवन दर्शन पर आधारित समाज के लिए सनातन संस्कृंति का आइना प्रदर्शित करने वाले देवतुल्य बताते हुए कहा कि आदि शंकराचार्य का जीवन सनातन दर्शन का पर्याय रहा, एकात्म पर्व मनाने का आशय यह है कि हम सभी आत्म चिंतन कर मन की बात को ग्रहण करते हुए देश एवं समाज के विकास के लिए कार्य करें।
एकात्मं पर्व को सम्बोरधित करते हुए डॉ0 नीलमणि हरिप्रिया तुलसी ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने सनातन संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए देश के चारों दिशाओं में मठों की स्थापना कर सर्व स्वल्विदं ब्रम्ह का आत्म सात कर इंद्रियजित बनने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने ब्रम्ह सूत्र के लेखन के साथ-साथ आचार्य ने ब्रम्ह सूत्र शिक्षा अपने शिष्यों को देना प्रारंभ किया इसी अवधि में आचार्य ने ब्रम्ह सूत्र के भाष्य के द्वादश उपनिषद भगवत गीता जिन्हे प्रस्थािनत्रई कहा जाता है के साथ लगभग 16 ग्रंथों की रचना की आचार्य ने यह कार्य मात्र चार वर्ष की अवधि में यह कार्य पूर्ण किया। ऐसा कहा जाता है कि ब्रम्ह सूत्र का भाष्य पूरा होने पर भगवान वेदव्यास स्वंय आचार्य से भेट करने आए और प्रसन्न होकर आर्शीवाद दिया कि तुम विभिन्न वादों प्रतिवादों के सिद्वातों को वेदांत मत से सहमत कर सारे मत वालों को पूर्ण करने का कार्य प्रारंभ करो। डॉ0 नीलमणि हरिप्रिया तुलसी ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने 40 वर्ष की अल्प आयु में ईश्वरलीन होने के पूर्व पूरे विश्वं को सनातन संस्कृति का जो स्वरूप दिखाया है वो अद्वितीय एवं अकल्पनीय है।
इस अवसर पर सहायक संचालक मत्स्य शिवेन्द्र सिंह परिहार, जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक विवेक पाण्डेय, समाजसेवी राजेश्वर उदानिया, सूर्यकांत मिश्र, संतोष लोहानी, गिरधर माथनकर, श्रीमती मनीषा माथनकर, विकासखण्ड समन्वयक श्रीमती प्रिया सिंह बघेल, एडवोकेट शुभदीप खरे, महेश भागदेव, संगीता निगम, अरूण बाजपेयी, श्रीमती प्रीति श्रीवास्तव, श्रीमती रूपाली सिंघई, लोकनाथ नामदेव, अमरेन्द्र तिवारी, शिवनारायण द्विवेदी, राजेन्द्र गौतम, श्रीमती रॉखी शर्मा सहित अन्य समाजसेवी एवं प्रस्फुटन समिति के सदस्यगण, स्वैच्छिक संगठन के सदस्यगण उपस्थित थें।