वेदांत आश्रम में सेवा निवृत्त शिक्षक एवं मेधावी छात्रों का सम्मान

गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल@गंजबासौदा/ रमाकांत उपाध्याय

वेदांत आश्रम जीवाजीपुर में आयोजित कथा के अवसर पर बुधवार को सेवा निवृत्त शिक्षक एवं मेधावी छात्रों का स्वामी डॉ राम कमल दास वेदांती जी महाराज द्वारा शाल एवं रामचरित्र मानस की प्रति भेंट कर सम्मान किया।

तत्पश्चात् कथा के तृतीय दिवस के अवसर पर उन्होंने बताया कि धर्म से विहीन मनुष्य पशु की तरह माना गया है हमारा शरीर पंच तत्व क्षिति, जल, गगन, अनल, समीरा से बना है। इन पांचों तत्वों का जो धर्म है वह हमारे जीवन में होना चाहिए तभी हमारा मानव जीवन सार्थक होगा। पृथ्वी का धर्म क्षमा, वायु का धर्म असंगता, जल का धर्म शीतलता, तेज का धर्म प्रकाश और आकाश का धर्म व्यापकता। धार्मिक होने के नाते हमारे जीवन में भी क्षमा शीतलता प्रकाश आदि गुण होने चाहिए। सद्गुरु हमें संसार से हटाकर ईश्वर से जोड़ता है, क्योंकि मानव जीवन का परम लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति ही है हमें असत्य से निकलकर सत्य की ओर तथा अंधकार से निकलकर प्रकाश की ओर बढ़ना चाहिए।
धर्म हमें संसार छोड़ने की बात नहीं सिखाता अपितु हम अपने व्यक्तित्व का अच्छा निर्माण कर संसार में अच्छे चरित्र एवं विचारों का विस्तार करें यही हमारा लक्ष्य है। माता-पिता पहले गुरु हैं इसलिए उन्हें गुरू की सच्ची गरिमा के अनुसार छोटे बच्चों को भी सत्संग और सद्गुरु से जुड़ना चाहिए। धु्रव प्रह्लाद भी माताओं की प्रेरणा से ही भक्ति की ओर बड़े थे उन्होंने केवल मंत्र जाप करके ईश्वर को ही नहीं प्राप्त किया अपितु अपने शौर्य और पुरुषार्थ के द्वारा अपने राष्ट्र को सुराज्य बनाया एवं सुरक्षा प्रदान की वही व्यक्ति आगे चलकर महापुरुष बनता है जो बचपन से ही अच्छे संस्कारों को धारण कर संयमित जीवन जीता है
स्कूलों से हम को अच्छी शिक्षा प्राप्त होती हैं सद्गुरु हमारी उसी शिक्षा को सत्संग के जल से खींच कर परलोक के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर देता है सद्गुरु केवल अच्छे ही लोगों को नहीं अपितु कुमार्गगामी लोगों को भी अपनी शरणागति में लेकर उनके स्वभाव का परिवर्तन करके भगवान से मिला देता है

मानव जीवन धीरे-धीरे व्यतीत होता चला जा रहा है समझदार लोग समय रहते सत्संग भजन तथा अपने कर्तव्य पथ का पालन करते हुए जीवन को सार्थक बना लेते हैं आइए हम इसी जीवन में अपने सद्गुरु का उपदेश आत्मसात कर मानव जीवन को सार्थक बनायें।
वेदांती महाराज जी द्वारा मेधावी छात्र देवांशी रघुवंशी, अक्षदा देशपाण्डे, प्रतिभा जाटव, निहारिका पाठक, मोहित चैरसिया, करण चैरसिया, नैनसी अग्रवाल, अंजली राजपूत, अंशुल रघुवंशी, हर्षित शर्मा, खुशी रघुवंशी, शिवानी रघुवंशी एवं सेवा निवृत्त शिक्षक तथा विशिष्ट समाजसेवी जनों को शाल एवं रामायण ग्रन्थ भेंट कर सम्मानित किया गया।