विद्यार्थियों को आत्म-निर्भरता और संस्कार की शिक्षा दी जाना जरूरी
गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @भोपाल रविकांत उपाध्याय/
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी है कि विद्यार्थियों को आत्म-निर्भरता और संस्कार की शिक्षा दें। ऐसी कार्य-संस्कृति बनाएँ, जिसमें नवाचार और अनुकूलन को मान्यता रहे। विश्वविद्यालय में अनुपालन और व्यवहारिक क्रियान्वयन दिखाई दे। उन्होंने कहा कि युवा आत्म-निर्भर बनें, स्वयं का उद्यम स्थापित करें, साथ ही दूसरों को भी रोजगार दें।
राज्यपाल पटेल इंदौर में आयोजित सेज विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. भरत शरण सिंह, सेज विश्वविद्यालय के कुलाधिपति इंजी. संजीव अग्रवाल विशेष रूप से मौजूद थे। कार्यक्रम में राज्यपाल श्री पटेल ने विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक तथा उपाधियाँ प्रदान कीं। इस अवसर पर उन्होंने प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. सुधीर मिश्रा तथा शिक्षा विस्तार के क्षेत्र में कार्य करने वाले श्री जयनारायण चौकसे को डी. लिट की मानद उपाधि प्रदान की।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि दुनिया जिस तेजी से बदल रही है, ऐसे वक्त में जरूरी है कि युवा दुनिया भर में हो रहे बदलावों के प्रति संवेदनशील हों। इसके लिए जरूरी है कि युवा वर्ग हर दिन ज्ञान सम्पन्न बनें। उन्होंने कहा कि युवाओं को हर दिन लक्ष्य बनाकर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि युवा वंचित वर्ग के कल्याण में अपनी शिक्षा की उपयोगिता को सार्थक कर राष्ट्र, समाज के विकास और कल्याण में योगदान दें। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने युवाओं के हौसलों को अनंत ऊँचाई छूने का अवसर दिया है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को क्रियान्वित करने में मध्यप्रदेश देश में अव्वल है। देश में कोरोना से बचाव के लिये टीकाकरण के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। देश में सौ करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है। इसमें मध्यप्रदेश की भी अहम भूमिका है। टीकाकरण के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में रेकार्ड कार्य हुए हैं।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि हमारे पास अनुमानत: एक सौ तीस करोड़ से अधिक मानव संसाधन की अतुलनीय शक्ति है। विश्व का 17 प्रतिशत से अधिक मानव संसाधन हमारे पास है। इसका करीब 65 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण अंचल में बसता है। इस शक्ति को आर्थिक शक्ति में बदलने, रोजगार के अवसर बढ़ाने और समावेशी आर्थिक विकास के लिए जरूरी है कि दक्षता पर निवेश किया जाए। ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था को ज्ञान और कौशल आधारित बनाया जाए। डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था पर फोकस किया जाए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि समाज को समस्याओं से उबारने में युवाओं की अहम भूमिका है। दीक्षांत समारोह का छात्र जीवन में बहुत महत्व होता है। इस दिन वह अपने शैक्षणिक जीवन को पूर्ण कर नई जीवन की शुरूआत करता है। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे अपनी सीख और सामर्थ्य से समाज की बुराईयों को समाप्त करने और समस्या मुक्त करने में योगदान दें। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे जीवन मूल्यों के नए मापदण्ड स्थापित करें।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. भरत शरण ने कहा कि समाज में शिक्षा, सेवा, संस्कार का सर्वव्यापी प्रसार होना चाहिए। युवाओं को आत्म-निर्भर बनना होगा। कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्थापक श्री संजीव अग्रवाल ने स्वागत भाषण दिया। कुलपति डॉ. अंकुर अरूण कुलकर्णी ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों की जानकारी दी।