गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल@उज्जैन रमाकांत उपाध्याय/
उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में 17 महीने बाद शनिवार को 696 सौभाग्यशाली भक्तों की उपस्थिति में महाकाल की भस्म आरती हुई। इस दौरान पूरा परिसर महाकाल के जयकारों से गुंजायमान हो गया। लंबे समय से श्रद्धालुओं द्वारा भस्म आरती में शामिल होने का मौका नही मिल रहा था।
प्रशासन ने आज से भस्म आरती में श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति दे दी, वे परिसर में तो प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन नंदी हॉल में नहीं जा सकते। शनिवार को दिल्ली, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित कई जगहों से आए भक्तों ने महाकाल से सुख-समृद्धि के साथ कोविड महामारी से मुक्ति के लिए प्रार्थना की। सुबह 4 बजे मंदिर के पट खुलने के साथ ही लोगों को प्रवेश दे दिया गया। गेट नंबर 4 से आम श्रद्धालु और गेट नंबर 5 से प्रोटोकॉल वाले श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया। सभी के अनुमति पत्र को चेक करने के लिए मंदिर समिति ने प्रवेश द्वार पर ही व्यवस्था की थी।
महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया की भस्म आरती में 50 प्रतिशत क्षमता के साथ श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया। शनिवार को हुई भस्म आरती में 696 लोगों को अनुमति दी गई. किसी भी श्रद्धालु को गर्भ गृह में जाकर जल चढ़ाने की इजाजत नहीं दी गई। सुबह 4 बजे श्रद्धालुओं के महाकाल मंदिर में प्रवेश करते ही परिसर जयकारों से गूंज उठा।
ज्ञात हो कि 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में भस्म आरती के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगना अल सुबह से ही शुरू हो गया था। बाबा महाकाल को सभी पंडे-पुजारियों ने नियम अनुसार जल चढ़ाया। उसके बाद दूध, घी, शहद, शकर व दही से पंचामृत अभिषेक के बाद बाबा का श्रृंगार कर भगवान महाकाल को भस्म रमाई गई। करीब 1 घण्टे चली भस्म आरती के बाद बाबा का चंदन, फल, व वस्त्र से विशेष श्रृंगार किया गया।