राजयोग मेडिटेशन से कराया आत्मा का साक्षात्कार
गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @ गंजबासौदा मध्यप्रदेश रविकांत उपाध्याय / 8085883358
हमारी आत्मा भृकुटी के बीच ही रहती है उसमें ही सारे संस्कार रहते हैं शरीर तो खलास हो जाता है। जो कुछ करती है वह आत्मा ही करती है ।शरीर के आर्गन आत्मा के आधार पर ही चलते हैं ।उक्त बात रविवार को नानाजी वाली गली में स्थित ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा संचालित मेडिटेशन सेंटर विदिशा से आई बी के कौशल्या वहिन ने कही उन्होंने राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से आत्मा से साक्षात्कार कराने की विधि बताई।
उन्होंने कहा कि हमारी आत्मा में 84 योनियों का पार्ट भरा हुआ है। भक्ति मार्ग में मनुष्य को थोड़ा भी सुख मिलता है तो बह खुश हो जाता है यहां तो 21 योनियों के लिए प्रारब्ध पाते है जीवन में जो पुरुषार्थ करते वह तकदीर बदल सकते है। उन्होंने कहा कि शिव रुपी परमात्मा हमारे मन में केंद्रित होते हैं। बह निराकार भी है और साकार में भी है।
राजयोग मेडिटेशन की उपयोगिता बताते हुए उन्होंने कहा कि कई मनुष्य योग को बहुत कठिन समझते हैं वे कई प्रकार के हट क्रियाएं तप अथवा प्राणायाम करते रहते हैं लेकिन वास्तव में योग अति सहज है जैसे कि एक बच्चे को अपने देहधारी पिता की सहज और स्वता ही याद रहती है वैसे ही आत्मा को अपने पिता परमात्मा कि याद स्वता और सहज होनी चाहिए। इस अभ्यास के लिए यह सोचना चाहिए कि मैं एक आत्मा हूं, मैं ज्योति बिंदु परमात्मा शिव कि अविनाशी संतान हूं जो परमपिता ब्रह्मालोक के वासी हैं, शांति के सागर है, आनंद के सागर है, प्रेम के सागर सर्वशक्तिमान है तो ऐसा मनन करते हुए मन को ब्रह्मलोक में परमपिता परमात्मा शिव पर स्थित करना चाहिए और परमात्मा के दिव्य गुणों और कर्तव्यों का ध्यान करना चाहिए । इस अवसर पर सेंटर पर उपस्थित बहनों ने राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास किया अंत में भोग प्रसादी का वितरण भी किया गया।