गंजबासौदा न्यूज़ पोर्टल @ गंजबासौदा रमाकांत उपाध्याय/ 9893909059
आपने संस्कृति और संस्कार शब्दों को खूब सुना होगा, लेकिन आप नहीं जानते कि संस्कृति और संस्कारों की जननी संस्कृत भाषा है। संस्कृत से अनभिज्ञ व्यक्ति संस्कारी नहीं हो सकता है। डाॅ राधाकृष्णन से किसी ने पूछा, भारत क्या है ,तो उन्होंने कहा कि भारत एक आध्यात्मिक देश है, अध्यात्म भारत की आत्मा है। भारत का अर्थ है भा यानि प्रकाश, ज्योति और रत का अर्थ है, अनुरक्त, संलग्न। अर्थात भारत प्रकाश की ओेर अग्रसर देश है। इस कारण भारत की कभी भी पहचान होगी तो अध्यात्म, संस्कृति और संस्कृत भाषा के कारण होगी।
यह बात अन्तर्राष्ट्रीय संत द्वाराचार्य डाॅ राम कमल दास वेदांती जी ने वेदांत आश्रम में चल रहे सैण्ट एस आर एस पब्लिक हायर सैकण्डरी स्कूल के एन एस एस शिविर में कही। उन्होंने दुनिया के देशों के अनुभवों को बताते हुए कहा कि थाईलेण्ड एक ऐसा देश है ,जहां अयोध्या है ,और वहां का जनता का प्रतिनिधि राष्ट्रपति अपने नाम के आगे राम शब्द जोड़ता है। वहां के राष्ट्रपति बताते हैं कि हमारे राजा राम है, हम तो उनके केवल सचिव भर है। वहां सुवाक्य लिखा हुआ है कि जिस राज्य का राजा राम नहीं है, वह राज्य ही नहीं है। संत श्री ने कहा कि छोटे बच्चों का कभी अपमान नहीं करना चाहिए। इस अवसर पर अमेरिका, फ्रांस और दुनिया के कई देशों की यात्रा के दौरान लोगों की भारत के प्रति जिज्ञासाओं का समाधान करने वाले अनुभवों को साझा किया।
एन एस एस शिविर के बौद्धिक सत्र में एन एस एस के जिला संगठक डा.पी के जगा उपस्थित हुए, उन्होंने प्रथम वर्षीय स्वयंसेवकों को एनएसएस गतिविधियों के साथ प्रदेश और देश स्तर पर होने वाले शिविर से लेकर राष्ट्रपति परेड में एनएसएस स्वयंसेवकों की भूमिका को रेखांकित किया। उनके साथ यूनीसेफ की चाइल्ड, बूमेन सहित अन्य संस्थाओं के लिए सेवा कार्य कर रहे स्वयंसेवकों की भी उपस्थिति रही। जिसमें स्वयंसेविका शिवानी जायसवाल ने एनएसएस के कैम्पों और लक्ष्य को स्पष्ट किया, वहीं अक्षय तिवारी ने बाल विवाह, तरूणा नामदेव ने नारी उत्पीड़न सहित बच्चों के शोषण से बचाने के उपाय सुझाए। एग्रीकल्चर कालेज की छात्रा स्वयंसेविका आयुषी जैन ने कैरियर गाइडेंस को विषय बनाते हुए शिविर के स्वयंसेवकों को कृषि क्षेत्र में कैरियर बनाने के सुझाव दिए।
संस्था के डायरेक्टर के एस यादव ने अतिथि परिचय, एनएसएस प्रभारी केपी चैहान और श्रीमती रत्ना देशपांडे ने अतिथियों का वेज लगाकर स्वागत किया। संचालन व्याख्याता राजेश यादव ने किया। इस अवसर पर संत हरिहर दास जी महाराज, समाजसेवी भगवान दास साहू, सुनील पिंगले सहित वेदांत आश्रम से जुडे संस्कृत विद्यालय के छात्र एवं सामाजिक गण उपस्थित हुए।