गंजबासोदा मध्यप्रदेश का एक सम्पन्न शहर है जो की दिल्ली मुंबई मुख्य रेल्वे लाइन पर स्तिथ है। यह भोपाल से उत्तर की ओर 96KM दूर है। गंज बासोदा यहाँ की मंडी और पत्थर व्यापार के कारण प्रसिद्ध है। यहाँ का पत्थर विदेशो मे निर्यात किया जाता है। गंज बासोदा की मंडी प्रदेश की प्रथम श्रेणी की मंडी है जो की नगद भुगतान के लिए जानी जाती है। इसके अलावा गंज बासोदा मे कई दार्शनिक स्थल भी हैं जो की विश्व विख्यात हैं।

Udaipur Temple Ganjbasoda
गंज बासोदा से 14KM दूर उदयपुर स्तिथ नील कंठेश्वर मंदिर वास्तुकला और स्थापत्य कला के रूप मे एक अलग पहचान है। इस मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने ग्यारहवी सदी मे करवाया था। शिवरात्रि पर यहाँ मेला लगता है जिसमे लगभग 2 लाख श्रद्धालु रात्रि 2 बजे से लंबी कतारों मे लगकर शिवजी का अभिषेक करते हैं। नील कंठेश्वर मंदिर का निर्माण विशेष मुहूर्त मे करबाया गया था।

Udaipur Temple Ganjbasoda
इस मंदिर मे बलुआ पत्थर पर नक्कासी कर खजुराहो से भी सुंदर प्रतिमाओ को उकेरा गया है। भारतीय संस्कृति कला और सोन्दर्य की द्रष्टि से आठवी शताब्दी के बाद इस क्षेत्र मे शिवमंदिरो का प्रचूर निर्माण हुआ। नील कंठेश्वर के नाम पर उदयपुर उत्सव भी संस्कृति विभाग द्वारा प्रारंभ किया गया है। अब यह मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण मे आता है।

Hanuman Temple Muradpur
उदयपुर से 2KM दूर दक्षिण मे ग्राम मुरादपुर स्तिथ है जहां हनुमान जी सभी भक्तो की मुरादे पूरी करते हैं।इसलिए इस गाँव को मुरादपुर के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर दूर दूर से भक्त अपनी मुरादों को लेकर आते हैं। यहाँ पर स्तिथ हनुमान जी की प्रतिमा का एक पैर पाताल तक जाता है। एक बार अंग्रेज़ो ने पैर की थाह लेने की कोशिश की थी लेकिन बो इस कार्य मे सफल नहीं हो पाये, हनुमान जी के पैर को पाताल तक खोजते खोजते एक बड़ा तालाब बन गया लेकिन पैर के छोर का पता नहीं चल पाया और अंग्रेज़ो को बीच मे ही खुदाई रोकनी पड़ी।

Shri Ramdev Temple
भगवान रामदेव मंदिर और दरबार की स्थापना दो अप्रैल १९९३ में पंडित हरिनारायण पाठक द्वारा ध्वजा रोहण कर बेतवा बर्रीघाट मार्ग पर साढ़े तीन बीघा जमीन खरीदकर की गई। इसके बाद मंदिर का निर्माण प्रारंभ किया गया। परिसर में भगवान रामदेव मंदिर के अतिरिक्त भक्त महासति डॉलीबाई, शिर्डी के सांई बाबा, मां दुर्गा, श्रीगणेश और श्रीराधाकृष्ण मंदिर की भी स्थापना की गई है। गंजबासौदा बर्रीघाट स्थित भगवान श्रीरामदेव मंदिर पर प्रति गुरूवार, अमावस्या की दोज पर आम श्रद्धालुओं के लिए दोपहर दो बजे आरती के बाद दरबार आयोजित होता है। उसमें अर्जी लगाने वालों की पीड़ा बाबा पंडित हरीनारायण पाठक के माध्यम से खुद दूर करते हैं। कर्मचारियों के लिए विशेष दरबार प्रत्येक रविवार को सुबह दस से १२ बजे तक आयोजित होता है। दरबार में देश के कई प्रांतों व शहरों से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और उसे पूरा होने का आर्शीवाद लेकर जाते हैं।
दरबार में आने पर श्रद्धालु खुद व खुद श्रीरामदेव का परिचय पाते हैं। बिना बताए ही उनको बाबा सब कुछ बता देते हैं जिसकी कामना लेकर वह आए हैं। भगवान के इस दरबार में कुछ भी छिपा नहीं रहता है यही कारण है कि दरबार की महिमा दिन व दिन बड़ती जा रही है।भगवान श्री रामदेवजी का कहना है कि आने बाले दिनों में बासौदा दरबार से बड़े बड़े चमत्कार लोगों को देखने मिलेंगे। दूर दूर से इतने लोग दरबार में अपने दु:ख, बीमारी व समस्यांए लेकर अर्जी लगाने व दर्शन के लिए

Sheetla Shakti Dham Ganjbasoda
आएंगे कि लोगों को घंटों खड़ा रहना पड़ेगा। दरबार में होने बाले चमत्कार से श्रद्धालु ही नहीं बडे बडे डाक्टर, बैज्ञानिक भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे लेकिन पता नहीं लगा सकेंगे। अंत में उनको भी मानना पड़ेगा। दरबार में देश के कोने कोने से लोग आते हैं। खास बात यह है कि जो एक बार आता है। वह दरबार की महिमा को भूल नहीं पाता है।
दरबार की आधिकारिक वैबसाइट www.basodaramdevdarbar.org है।
गंजबासोदा के मध्य मे माँ शीतला का मंदिर स्थित है। यह मंदिर नगर गंज बासोदा की शान है जहां पर माँ शीतला पाँच शेरो बाले रथ पर बिराजमान हैं। नगर मे किसी भी तरह का धार्मिक आयोजन होता है तो सबसे पहले माँ शीतला के मंदिर मे आशीर्वाद लेने आते हैं।किसी भी शादी विवाह के अवसर पर माता के दर्शन करने के बाद ही अन्य शुभ कार्य शुरू होते हैं। इस मंदिर में समस्त नो देवियो की मूर्तियाँ स्थापित हैं। नवरात्रि के दौरान यहाँ नौ दिनो तक भव्य आयोजन होते हैं।