ये है गुप्तेश्वर महादेव मंदिर जो की मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के पास असीरगढ़ के किले मे स्तिथ है। यह मंदिर बहुत पुराना है। यहां तक पहुंचने का रास्ता दुर्गम है। मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल चढ़ाई करनी होती है। किंतु यहां पर पहुंचने पर विशेष आध्यात्मिक अनुभव होता है। मंदिर चारों ओर खाई व सुरंगो से घिरा है। इस मंदिर की सबसे रोचक बात ये है कि यहाँ पर महाभारत काल के गुरु द्रोणाचार्य के अमर पुत्र अश्वत्थाम आज भी खाई में बने गुप्त रास्ते से मंदिर में आते-जाते हैं, बो पास ही ताल मे स्नान करते हैं और फिर मंदिर मे शिव की उपासना करते हैं । इसके सबूत के रूप में मंदिर में सुबह गुलाब के फूल और कुमकुम दिखाई देते हैं। एक दो नहीं बल्कि कई लोगो ने अश्वत्थामा को यहाँ आते देखा है, जिन लोगो ने अश्वत्थामा को देखा है उनका कहना है कि कोई 18-20 फीट लंबा भयानक आदमी जंगल के रास्ते मंदिर कि ओर जाता है। लेकिन जेसे ही उसका पीछा करते है तो ग्रामीण मूर्छित होकर गिर जाते है। आपको बता दे कि अश्वत्थामा के माथे से मणि निकाल लेने से उनके माथे से लगातार खून बहता रहता है जो कि उन्हे श्राप मिला था। इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता है क्योंकि जिस प्रकार अमरनाथ मे बो कबूतर का अमर जोड़ा आज भी देखा जाता है। उसी प्रकार अश्वत्थामा भी अमर हैं और मुक्ति पाने के लिए शिवजी की आराधना करने आते हैं। चूंकि महादेव देवो के भी देव हैं इसलिए देवता भी उनकी पूजा करते हैं।